चौमासी 
Chomasi



हरी भरी सी डांडी कन भली लगदी 

बसग्याली चौमास डांडयू मा पैटिग्ये 

बसग्याली चौमास डांडयू मा सरैगी।


रूड़ी कू स्यू धाम झणि कख लुकिगी 

तीसली धरती की अब तीस बुझैली 

चौमास का छोया अब फुटिण लगिनी 

बसग्याली..


बरखा की बत्वाणी भी भली लगदी 

दिन फिरला पुगंडयू की आस जगदी 

सौजन्ड्यूँ की सयेली, कै बार लगली । 

बसग्याली........


सेरों मा रोपणी अब सयै जाली 

नाज की दाणी, अब खयै जाली 

पोरु का सूखा न घुन्डा धर्सेयेनी, 

बसग्याली.......


डांडी का झुल्ला छन डाल्यू की पाती 

चौमास मा डाली-बोटी लकदक होन्दी 

ब्योली जन स्वाणी-स्वाणि दिखैन्दी 

बसग्याली...