जिन्दगी 
Jindagi



जिन्दगी मी त्वे खुणि सदानी लड़दीऽ ऽ रै गयूँ 

जिन्दगी मी त्वे खुणि सोचदी ऽ रे गयूँ 

जिन्दगी क्या च पाणी कू बुलबुलो 

जिन्दगी क्या च माटा क एक डलू 

उडदो रयो पाणी मी हेरदी ऽ रै गयूं 

गलदो रयो माटो मी सोचदी ऽ रै गयूं।


माया की कुटरी सौजडयूँ की बात 

जिन्दगी च सुख दुःखों की भरी परात 

धार मा कू सूरिज मी हेरदी ऽ रै गयूँ 

चौक मा रुमक पौडिगे सोचदीऽ रै गयूँ।


जिन्दगी औन्दरों का दगड़ आन्द 

जिन्दगी जान्दरों का दगड जान्द 

घट्ट की भेरण जनी रिटदीऽरै गयूँ 

दिन मिन, कटै करी सोचदी ऽ रै गयूँ जिन्दगी...मी त्वें....


उजड़दी रैनी गौं गला, देबतों का ठाऊँ 

गला गला तक भरी कचील मनख्यूँ क नऊँ 

रिश्तों मा अपणैस मी खोजदी रै गयूँ 

भाँडू कब रीतू हवे, मी सोचदीऽरै गयूं।