धार मा सूखिलो सूरिज अयूं च 

Dhar Ma Sukhilo Surij Ayun Cha



कुमचेरों किला बैठया, उवे हेरि ल्यावा 

धार मा सूखीलो सूरिज अयूं च 

हरची अपणी अपणैस त पछाणा 

जौली जौली मोरि जैणा। आली खर्याण 

जगावा भीतरयूं आग, सीलो सुखावा । 

धार मा.......


अपणी बात अपणा गिच्चों न बिगांवा 

हैका का कन्धों मा बन्दूक न चलावा 

तो बोला अपणी बोली, ऊड्यार न खुजावा। 

धार मा.......


नया जमाना का चमलाट ह्वेगी 

सव्यू की झोली तुमड़ी, जुदा-जुदा ह्वेगी 

नी रई सकदा ज्यूंदा इखुली इखुली। 

धार मा.......


अपणू गफा, अपणू खाणू अपणो ही लाणू 

अपणो की छुयूँ मा अपणैस खुजाण 

मनख्यूँ की ईं पंगत माक्वी नी बची विराणू। 

धार मा.......


भरयां भांडा तौल हिलोद ही रौंद 

जलुड्यूँ मुडि पाणी, सदनी दिखेंद 

मुखड़यूँ मा ओलो पाणी, तुम जागी रावा

धार मा......