स्याणी नी कर
Syani Ni Kar
स्याणी न कर तो बातों की
भोल क्या होलू कैन नी जाणी...
अपणा विरोणा तैं क्या हेरदा
झूठी माया च हमारी
एक धरम ही दगड़ा मा जालू
पिछने छूटी जालू सैरू संसार ....
गेड़ खोली द्यावा अपणी जिकुड़ी की
तैं लुंग तै न अगनै बढ़ावा
आलो औडल त ऽऽ उड़ी जालू
रीता रैऽऽ जाला हाथ तुम्हारा ...
कैन स्वीणा मा भी, नी सोची होलू
कभी टिरी भी डूबी जालो
बांध बणी जालो याँ क बानो
छवड़ण पौड़लो सब्यू तैं घरबार ... स्याणी .....
लोग सियां का सिंया रै गिन
जब बादल तख फटि गैन
घड़ी भर मा परलय सी मचीगे
लोग स्यूं कूड़ा सबी दविगीन
अपणा, अपणों ना बिरावा........
अपणा चकडैतों ना खुज्यावा
कभी बगत भी इनों आन्दा
खोटो सिक्को ही काम आन्दा
स्याणी.....
गंगा जी को पाणी कैन रोकी
चलणी मां पाणी कू लाय
इनी छित्ति मिंन्ति की छुयों न
अपणो आज ना भूली जावा
स्याणी ....
भैर का उंड, भीतरयू का
फुड फुड आज होयां छन
आग जगदी बगत झौल....
पिछनै–पिछनै सरकीक आन्दा
स्याणी...
0 Comments