डिंडली
Dindali
डिंडली का छज्जा मा बैठयूँ छौ मी
अपणौं कू बाटू हेरदू छौ मी
आणा आणा की आस मा, बीति गैन साल पर साल
कखी चूणू पाण्डू, कखि तीड़गे चौक की पाल,
कब आला मेरा, कूड़ो छंवाला, चौक बणाला पगार उठाला।
डिंडली....
डांडयूं कांठयूं मौल्यार आई, चली गै बार बार
तनी ऐकी चली गैन तीज अर त्यौहार
मी रयूं जगव्लदी कब मेरा आला
उंका बाना मी बणौलू पकोड़ा अर स्वाला।
डिंडली......
लतड़क पौंडयूँ छौं मी आज, जिकुड़ी मा च धक्ध्याट
कभी आला मेरा मी म, कख च इनो मेरो भाग
घाम भी अछलेण बैठिगे रूमक पैटिगे खाल
दिन सरेणा नी छन, हवेगिन ज्यू कु जंजाल ।
डिंडली....
खौरी खैकी मीन अपणा, नौनों पढ़े लिखाई
अफू खाई कान्डो कफलों, वू तै कमी नी काई
बूढेदि बगत आली, तौ तैं मेरा करयाँ की याद
ज्वानी मा निश्चंद बण्याँ छन, कान नि देणा धाद
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