ज्यू बोल्द
Jyu Boldu
आँख्यूं न दिखेंद नी च
खुट्यूँ न हिटेन्दू नी च
बिना सहारा उठेन्दू नी च
तब भी घुमण कू ज्यू बोलद
मुख मा क्वी दांत नी च
ल्वे मा क्वी आंच नी च
पोटगी मा अपच रौन्दी
हाथ मा समर्थ नी च
तब भी खाणो ज्यू बोलद
आँख्यूँ मा स्वीणा छन
गाणियू मा समूण छन
जिकुड़ी मा उमाल अज्यू
बुढ्या होगी पर ज्वान मनद
गिच्चा न बोलद कब जौलू मी
मन मा सोचद, कब तक रौलू मी
देवतों का ठौ मा मुड टेकी
मंगदी सदनी रौन्दी मी,
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