कखी हरची गये जोग
Kakhi Harchi Gaye Jog
बल विकास होणू च बोलदा छन लोग
हमारा गौं कू देखा कखी हरची गयो जोग
सैणी पुगडी आंसू ढोलणी, सुरैयू का बीच
अगेती पिछेती फसल होन्दी छै रौंतेली डांड्यूं का नीस
किनगोड़, तुंगला अजन्ड वेगिन, गौं का ओर पोर
हमारा गौं कू....
धारा पन्देरों का कन्दूड बयाणा पंदेन्यूँ की गाणी मा
तीर ढीस को घास खुज्याणु, घसेयूँ तें फंच्यूँ मा
परदेशी थमलों न काटिन डाला, पौडिगे संगति विजोग
हमारा गौ कू....
सूखा डाल्यूं सी दाना रंया छन, गौं का गुसैंई
ज्वानू-ज्वानू न अपणी माटी की सुध च विसरंई
भैर का आला तखी बसी जाला तब कै पर देला तुम दोष
हमारा गौ कू....
क्यां का जी बाना लड़े लड़ी छै क्या छै माँ-बैणियूं की आस
पहाड़ कू माटू पाणी गिरवी च नेतों का पास
टुखी टुखी हरी चितैणी पर जड़ल्यूं पर सूखो रोग
हमारा गौ कू....
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