कुयेड़ी
Kuyedi
डांडां डांडां कुयेड़ी च लौंकी
मी तै खुद लगी च भुलों की ...
आई भादों कू अंधियारों मैनू
भैर तड़बड़ बरखा च होणी
अण छयूं कूड़ो जगह जगह चूणो,
कनकै धीरज जिकुड़ी कू होण ... डांडा....
बिन्डी दिन वेगीं झूरि लगीं च
सोड़ा मोड़ों न डैर हुईं च,
इखुलि छज्जा मा बैठी बैठिक
आंखा गाणियूँ मा रस्ता लघौंणा, डांडा....
हे घूघूती प्यारी घूघूती
मेरी ब्वे मा रैवार लिजैदी
आला बाबा जी देश बटी की
भूलों मू मेरी समूण तू भेजी
डांडां...
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