काफल 
Kaphal



चैत का मैना, चल मेरी बैण्यूं, पैंय्याँ डांडां जौला , 

पैय्याँ डांडां जौला 

पैय्याँ डांडा काफल पक्याँ, कंडी भोरी लौला, 

क्वी डाली छोट्टी क्वी डाली बड़ी 

मी रौलू गोल तू टुक्खी चढ़ी 

हैयाँ हैरयाँ काफल छोड़ी क लाल लाल लौला 

चैत... 


चल दगड्या झट पट उठ 

उकाली का बाटा मा लगदो बगत 

कमर बान्ध, दाथी उठो, दगड़ा मा कन्डी लिजौला 

चैत....


रंगली चंगली टुपटुपी मुखड़ी 

किलै टपरान्दी तेरी स्या जिकुड़ी 

कान्डा लगला तेरी सी टक पर कनकै धार लंघौला

चैत......


चल सुनीता चल कमला, 

गौं मा काफल बांटी औला, 

ऐंसू नी चाख्या जौन काफल, पैली वू से दियोला। 

क्वी छन सुख्यां अर क्वी छन रसीला 

क्वी त दिखेणा हडेला ही हडेला

कडू तेल मा रलै मिलैकी, भलू सी स्वाद बणौला..... 

चैत की मैना....