कौथिग 
Kauthig



रंगमतु वे गै छोरि, यू मेरो पराण 

देखी मिन झलांक तेरी कोथिग का बाना 

हाँ कौथिग का बाना 

कुछ कुछ बोलणू छोरा मेरु भी पराण 

देखी मिन झलाक तेरी, कौथिग का बाना 

हाँ कौथिग का बाना 

मैल्या थौल तल्या थौल, भटक्यूँ त्यारा बाना 

नी दिखे मुखड़ी तेरी, ऎसीगे पराण 

कन कैकि लगौण मन की, बात मिन कुजाण, हाँ बात मिन कुजाण

रंग ....


घास का बाना गयूँ बौण बौण पाखी 

मन मा छै मूरत तेरी, नी उठी मेरी दाथी 

ग्वेरु की मुरली मा भी तेरु सुर चितेन्द, हा तेरु सुर चितेन्द, 

कुछ कुछ बोलणू ... 


रंग विरंगी साड़ियूँ मा भली बांद तू दिखेन्दी 

गल्वड्यूँ मा पिल प्वड़द, खिच तू हैंसदी 

खुट्टयूँ की झिंवरी तेरी कुतग्यली लगोन्द हाँ कुतग्यली 

रंग मतु... 


चल दगड़या दगड़ी दगड़ी कौथिग घूम्योला 

चूड़ी, बिन्दी, फूंदड़ी वखी जै मुल्योला 

माया को उल्यार दगड़या, कन कै त्वे बतौण 

हाँ कन कै त्वे बतौण 

कुछ कुछ बोलणू छोरा ....