खरड़ी कांठी
Kharadi Kanthi
किलै वेन कांठी खरड़ी आज
किलै हरची बाँज बुरांस....
जख पैली हुन्दा छा पैंय्याँ कुलैं देवदार
सैणा बुगयाळु मा छैई रसोंलूँ की भरमार
किलै वेन आज स्या मेरी ब्वे
नांगी रौतेलू धार २ .....
पैली गदनयूं मा होन्दू छयो पौधो पाणी
खेती गोरु मनख्यू कू च जीवन आधार पाणी
किलै सूखी गेन मेरी ब्वे, गौ की गदनी आज ३
किलै ..
धौली गंगा को छयो दूध जनो छालो पाणी
कूड कबाड़ नी देखी, न कभी जाणी
किलै वे स्या आज मेरी ब्वे
काली कौज़याली मटयाली
यूं काठयूँ मा छाया, देवतों का पवित्र ठांऊ
उंकी छाया माया न सुखी छाया सब्या गों
किलै वे खन्द्वार मेरी ब्वे
देवतों की वास हमारी आस
0 Comments