खौरी 
Khori



खौरि खैकी सैंती तिन अपणा बाला 

खौरियूं मा त्वे छोड़िक परदेश चल गिनी 2 

रात काली उठदी छै, कुटदी पीसदी छै 

घौर बोण सब्बी धाणी सरासरी करदी छै 

गिच्चा कू गफा भी नौ-नौ ते खंलादी छै 

आज भैर भीतरयूं टपराणी टपराणी छै 

खौरियूं मा त्वे...... 


खौरियूं को डिसाण छौ, खौरियूं का छा खंतड़ा 

खौरियूं कू खाणू छौ कन्डली लिंगुड़ा अर खूंतड़ा 

खौरी मा मी स्वाणा छा, खौरी का ऊ दिन 

उवा पाण्डा हैसंद छा, नौ नौ की किल क्वरियून 

खौरियूं मा त्वे..... 



आंख्यू मा छा स्वीणा मन मा छै बड़ी आस 

स्याणा होला एकदिन पूरो छौ विश्वास 

खौरियूं का बुझना, खौरियूं का समूणा 

आस मा कटि गैन, खौरियूं का स्यू दिन 

लकदक बणी छन आज अखोड़ की डाली 

कखड़ी की लगुली पर अय्यी विन्डी राली 

कब तक जग्वललितू छोड़ तैं माया 

पोथलों पर जब पंख लगिन, ऊन उडण ही छाया 

जौंका बाना खौरी खाई एक एककरी रात दिन 

तौन आज अपणी भूमि देखा कन छोड़ दिनी 

बिसरी गैन ब्वे बुबों तें बिसरी ग्येन सारी 

गाडियू मा बैठ्यां अब भूयाँ चुभदी गारी