नारी कू जीवन 
Naari Ku Jeevan



वसग्याल बौण मा कटेदन, रुड़ी सेंरों मा कटेदन 

हयूँद जंदरी मा कटेदन, पहाड़ों की नारी कू जीवन


रात काली उठी की, कुटी की पिसी की 

धारा वटी गागर पाणी की लेकी 

संव्यू तै कलेऊ पकौदिन, पहाड़ की नारी कू जीवन


भली भली चीज अपणों तै दे दिन 

संव्यू व ज्यू बुझोदिन पहाड़ की नारी कू जीवन


सोना सा दिप दिप उजली सी मुखड़ी 

नोण की गोदंकी जूनी सी टुकड़ी 

तन मन द्वि सुन्दर छन पहाड़ की नारी कू जीवन।