सड़क
Sadak
टूटता पहाड़ लमडदा ढुंगा
देखा रे देखा, सड़क बणनी च
यूं सड़क्यूं का बाना
हमन पुंगड़ी छोडिन, भीटी छोडिन,
पर सड़की आज भी जन्यो तनी छन
यूं मा गाड़ी त गाड़ी क्या
मनखी भी नी चलणा छन....
सोचदा छा सड़क आली
पैदल कू पाप कटलो
सर औला सर जौला
पर क्या जणन छौ सडक्यूँ का बाना पर
शांत जीवन मा चोरी कू भय भी साथ आलू !
जख पैली ताला कुंजी नी होन्दी छै
पक्का मजबूत दरवाजा, और अच्छो तालो
आज सड़क से पैली की आवश्यकता वेगी
सोचदा छा सड़क आली त सुविधा भी आली
सुविधा त दिखेणी नी च लेकिन रगड़ बगड़
उजाड, अव्यवस्था व भ्रष्टाचार जरूर देखणा छां
सड़क्यूं का बाना पर मुआवजा बटैणा छन
लेकिन क्या? कौड़ियों का भाव
ज्यों पुंग्डयू मा कभी लहलहादां छया ग्यूं
आज बू उदास टूटी फुटी हालत मा रोणी छन
अब हालात इन छन कि सड़क त
सड़क क्या पैदलों वाटो भी टूटी ग्याय
मखनी त मनखी क्या गोरू कू वाटो भी हर्ची ग्याय।
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