सुपिना 
Supina



सुपिना मा औन्दी स्या घौर की डिन्डाली 

सपिना मा औन्दी स्या घौर की तिवारी 

मोल माटा न लिपी, सौंलों न घसी 

कमेड़ा न पालीयूं तें लिपाई पुताई 

कन भला लगदा छा, तिवारी का जंगला मांजी की 

छज्जा मां बैठया मेरा दीदा भूला भाई .... सुपिना 


दानों को ककड़ाट, ब्यारीयूं को खिकताट 

वैखू कू तमखू अर हौल की बात 

पुगड्यूँ का ढीका अर जोत की लाट 

कोदो, झगोरा अर कंडली को साग .... सुपिना 


गाड का चिफला ढूंगा, चौड़ी पठाल 

भांडयूँ की रौड़ाण नौनीयूं को ककलाट 

क्वी धोन्दी फिलवाड़ी क्वी लटुली बणोद 

क्वी मुलमुल हँसी, ठट्ठा लगौद .... सुपिना 


भैर आवा भैर आवा दोफरो होयूं च 

किलै पौड्याँ गुदडीयूँ मा लमडेर ह्वेकी 

दगड का नौना पुगड्यूँ लग्याँ छन 

मेरा छोरा लमडेर, भीतर पोड्याँ छन .... सुपिनां