उकाल-उँथार 
Ukaal-Uthar



यी पहाड़ छन हमारा सांख्यू बटी की

यूँ पहाड़ों मा कटी सैरी जिन्दगी

हाँ हमारी जिन्दगी

तड़तड़ी उकाल छै चढ़ी गयां हम

भारी छै उँधार पर उतरी गयां हम

टेडो मेड़ों वाटो, पहाड़ कू जीवन जीवन

का आखर, मी पढ़ी गया हम...

यो पहाड़.....

नारंगी, बिजोरा, किनगोड़, हिसर यख देखी

बांज, बुरांस, फ्यूलड़ी, कन्डली मी यखी देखी

बनी बनी का फूल, बनी-बनी का मौसम.....2

मौसमू का दगड़ा, रल मिली गया हम

यो पहाड़.....

कभी गाड़ छाला, स्योलू, झपोड़ी

कभी चलदी करि, बांजि पुगंड़ी सगोड़ी

माटा म जी खेलिकी, बड़ा हुय्यां हम

माटा मा ही पाई। द्यौ द्यवतों का दर्शन

यो पहाड़.....