सूचना प्रौद्योगिकी 
Information Technology



प्रगति के पथ पर मानव बहुत दूर चला आया है। जीवन के हर क्षेत्र में कई ऐसे मुकाम प्राप्त हो गये हैं जो जीवन की सभी सविधाएँ सभी आराम प्रदान करते है। 

आज संसार मानव की मुट्ठी में समाया हुआ है। जीवन के क्षेत्रों में सबसे अधिक क्रांतिकारी कदम संचार क्षेत्र में उठाए गए हैं। अनेक नए स्त्रोत नए साधन और नई सुविधाएँ प्राप्त कर ली गई है जो हमें आधुनिकता के दौर में काफी ऊपर ले जाकर खड़ा करता है। ऐसे ही संचार साधनों में आज एक बड़ा ही सहज नाम है इंटरनेट। 

यूँ तो इसकी शुरूआत 1669 में एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसिज द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किग करके की गई थी। इसका विकास मुख्य रूप से शिक्षा, शोध एवं सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था। 

इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था संचार माध्यमों को वैसी आपात स्थिति में भी बनाए रखना जब सारे माध्यम निष्फल हो जाएँ। 1971 तक इस कम्पनी ने लगभग दो दर्जन कम्प्यूटरों को इस नेट से जोड़ दिया था। 1972 में शुरूआत हई ई.मेल अर्थात इलेक्ट्रोनिक मेल की जिसने संचार जगत में क्रांति ला दी। इंटरनेट प्रणाली में प्रोटोकॉल एवं एफ.टी.पी. (फाइल ट्रांस्फर प्रोटोकॉल) की सहायता से इंटरनेट यूजर (प्रयोगकर्ता) किसी भी कम्पयूटर से जुड़कर फाइलें डाउनलोड कर सकता है। 1973 में ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रॉटोकॉल जिसे इंटरनेट प्रॉटोकॉल को डिजाइन किया गया। 

1983 तक यह इंटरनेट पर एवं कम्प्यूटर के बीच संचार माध्यम बन गया। मोन्ट्रीयल के पीटर डयस ने पहली बार 1989 में मैक-गिल यूनिवर्सिटी में इंटरनेट इंडेक्स बनाने का प्रयोग किया। इसके साथ ही थिंकिंग मशीन कॉर्पोरेशन के बिडस्टर क्रहले ने एक दसरा इंडेक्सिंग सिस्सड वाइड एरिया इन्फोर्मेशन सर्वर विकसित किया। उसी दौरान यूरोपियन लेबोरेटरी फॉर पार्टिकल फिसिक्स के बर्नर्स ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण के लिए एक नई तकनीक विकसित की जिस वर्ल्ड वाइड वेब के नाम से जाना गया। यह हाइपर टैक्सट पर आधारित होता है जो किसी इंटरनेट यूजर को इंटरनेट की विभिन्न साइट्स पर एक डॉक्यूमेंन्ट को दूसरे को जोड़ता है। यह काम हाइपर लिंक के माध्यम से होता है। हाइपर लिंक विशष रूप से प्रोग्राम किए गए शब्दों बटन अथवा ग्राफिक्स को कहते है। 

धीर-धीरे इंटरनेट के क्षेत्र में कई विकास हुए। 1994 में नेटस्केप कॉम्यूनिकेशन और 1995 में माइक्रोसॉफ्ट के ब्राउजर बाजार में उपलब्ध हो गए जिससे इंटरनेट का प्रयोग काफी आसान हो गया। 1996 तक इंटरनेट की लोकप्रियता काफी बढ़ गई। लगभग 4.5 करोड़ लोगों ने इंटरनेट का प्रयोग शुरू कर दिया। इनमें सर्वाधिक संख्या अमेरिका (3 करोड) की थी, यूरोप से 90 लाख और 60 लाख एशिया एवं प्रशांत क्षेत्रों से था। ई-कॉम की अवधारण काफी तेजी से फैलती गई। संचार माध्यम के नए नए रास्ते खुलते गए। नई नई शब्दावलियाँ जैसे ई-मेल वी मेल वेबसाइट (डॉट-कॉम) वायरेश, लवबग आदि इसके अध्यायों में जुड़ते रहें। 2000 में इंटरनेट इतनी बढ़ गई कि इसमें कई तरह की समस्याएँ भी उठने लगी। कई नए वायरस समय समय पर दुनिया के लाखों कम्प्यूटर को प्रभवित करते रहे। 

इन समस्याओं से जूझते हुए संचार का क्षेत्र और बढ़ता रहा। भारत भी अपनी भागीदारी इन सपलब्धियों में जोड़ता रहा। आज भारत में इंटरनेट कोरशनों और प्रयोगकताओं की संख्या लाखों में है।