बुद्धिमान किसान 
Budhimaan Kisan 



एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक तन्दरुस्त गधा था। वह उसकी बहुत देखभाल करता था। उसी गाँव के कुछ चोरों की नजर उसके तन्दरूस्त गधे पर थी। वे हमेशा उस गधे को चुराने की ताक में लगे रहते थे। वह चोर उस गधे को चुरा कर किसी दूसरी जगह उसे अच्छे पैसों में बेचकर धन कमाना चाहते थे। किसान प्रतिदिन अपने गधे को हरी-हरी घास चरने के लिए खुला छोड़ देता था। एक दिन चोरों ने देखा कि गधा घास खा रहा है और किसान उसके पास नहीं है। उन्होंने गधे को चुरा लिया और अपने साथ लेकर जाने लगे। किसान के एक मित्र ने चोरों को गधा चुराते हुए देख लिया। उसने तुरन्त दौड़कर किसान को चोरी के बारे में सूचित किया।


यह सुनकर किसान अपने हाथ में एक मजबूत छड़ी लेकर चोरों के पीछे भागा। जल्दी ही किसान ने चोरों को ढूँढ लिया। चोरों को देखकर किसान ने छडी हवा में हिलाई और जोर से चिल्लाया, "मेरे गधे को छोड़ दो, नहीं तो मैं वही करूँगा जो मेरे पिताजी ने किया था।" 


किसान की बात सुनकर चोर डर गए और उन्होंने किसान का गधा उसके हवाले कर दिया। लेकिन वे अचरज में पड़े हुए थे और यह जानने के लिए उत्सुक थे कि किसान के पिता ने ऐसा होने पर क्या किया था। उन्होंने किसान से यह बात पूछने का निर्णय किया। 


उन सभी चोरों में से एक चोर ने किसान से कहा, "श्रीमान, अब आपका गधा आपके पास है। लेकिन क्या आप हमें यह बताने की कृपा करेंगे कि आपके पिता ने अपना गधा खोने पर क्या किया था?" 


चोरों की बात सुनकर किसान बहुत जोर से हँस पड़ा। किसान को जोर से हँसता हुआ देख कर चोर और भी ज्यादा आश्चर्य में पड़ गए। 


किसान ने चोरों के चेहरे पर आश्चर्य के भाव देखकर अपनी हँसी को रोका और गम्भीरता से बोला, “बहुत ध्यान से सुनो! जब मेरे पिताजी का गधा चुरा लिया गया था तो मेरे पिताजी ने उसे बहुत तलाश किया। परन्तु उन्हें उनका गधा नहीं मिला। कुछ दिन वे परेशान रहे लेकिन फिर वे बाजार से एक नया गधा खरीद लाए। और जानते हो, यह वही गधा है।" 


किसान की बात सुनकर चोर पहले तो हैरान रह गए पर फिर जोर-जोर से हँसने लगे। वे समझ गए कि किसान ने उन्हें बेवकफ बनाया है। उन्होंने किसान की बुद्धिमानी की प्रशंसा की और फिर अपने रास्ते चल दिए।


शिक्षाः बुद्धिमान व्यक्ति, बुद्धि से लक्ष्य को पा सकता है।