बुद्धिहीन सियार 
Budhiman Siyar



एक बार एक सियार भोजन की खोज में भटक रहा था। भटकते-भटकते वह एक नदी के किनारे पहुँचा। उसे आशा थी कि कोई न कोई जानवर पानी पीने के लिए नदी तट पर आएगा तब मैं उसे पकड़ लूँगा और खाकर अपनी भूख शांत कर लूँगा। सियार झाड़ियों के पीछे छिपकर बैठ गया। उस नदी में बहुत से कछुए रहते थे। कुछ ही समय बीता था कि कुछ कछुए पानी से बाहर निकल कर नदी के किनारे पर टहलने लगे। अपने सामने कछुओं को टहलता देखकर सियार के मुँह में पानी आ गया। वह दबे पाँव उनकी तरफ बढ़ने लगा। 

कछुए इस बात से बेखबर थे। सियार धीरे-धीरे चलकर कछुओं के पास पहुँचा ही था कि उसे जोर से छींक आ गई। छींक की आवाज सुनते ही कछुओं में सनसनी फैल गई और वे सभी हड़बड़ा कर नदी की ओर भागे। परंतु उनमें से एक कुछआ थोडा पीछे रह गया। इससे पहले कि वह नदी में जा पाता. सियार ने छलाँग लगा कर उसे पकड़ लिया। सियार ने कछुए को अपने पैरों के नीचे दबोचा और उसका माँस खाने का प्रयास करने लगा।

परंतु सियार कछुए को खाने में असमर्थ रहा। चतुर कछुआ पहले ही अपने कठोर खोल में दुबक चुका था। सियार ने बहुत प्रयास किया परंतु वह कछुए के खोल को तोड़ने में असमर्थ रहा। वह समझ नहीं पा रहा था कि कछुए के खोल को कैसे खाया जाए? वह झल्लाकर बोला, "ये कछुए भी कितने कठोर होते हैं।

कठोरता के कारण खाए भी नहीं जाते। लेकिन आज मैं इस कछुए को खाकर ही दम लूँगा। कितनी मुश्किल से तो मेरे हाथ में एक शिकार लगा है।" कछुआ चतुर व बुद्धिमान था। वह सियार की झल्लाहट देखकर मन ही मन मुस्कुरा दिया। वह बहुत ही विनीत भाव से बोला, “सियार महाशय! आप बहत नासमझ हैं। क्या आप जानते नहीं कि कछुओं का खोल जब सूखा हुआ होता है तो वह अत्यंत कठोर होता है। 

यदि आप मुझे कुछ देर के लिए पानी में रख दें तो मेरा खोल नर्म हो जाएगा। तब आप इसे आसानी से खा पाएँगे। मैं जानता हूँ कि आप भूखे हैं, लेकिन आपको थोड़ी-सी प्रतीक्षा तो करनी ही पडेगी।" मूर्ख सियार कछुए की बातों में आ गया। उसने तुरंत कछुए को नदी में छोड़ दिया। कछुआ एक झटके में गहरे पानी में जा पहुँचा। कछुआ वहाँ से चिल्ला कर बोला, “मैंने तो सुना था कि सियार चालाक होते हैं परंतु कुछ तुम्हारी तरह निपट मूर्ख भी होते हैं यह आज पता चला है। अब तुम जाकर अपने लिए भोजन ढूँढो, मैं तो चला अपने साथियों के पास।" सियार ठगा-सा रह गया। उसके पास अपनी मूर्खता पर पछताने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं था।

शिक्षा: चतुराई से कपटी को पराजित किया जा सकता है।