चोर और छड़ी
Chor Aur Chadi
एक बार एक राज्य में एक किसान रहता था। वह बहुत मेहनती था। उसके पास अन्य किसानों की तरह कई बीघा खेत तो न थे बस, ले देकर एक छोटा-सा खेत था। पर वह उस खेत में हर साल मेहनत से मक्के की खेती करता था, जो कि केवल उसके परिवार के भरण-पोषण के काम ही आ पाती थी।
एक बार की बात है। बैसाख का महीना था और मक्के की फसल पक कर तैयार थी। इस बार फसल अन्य सालों की अपेक्षा बढ़िया हुई थी। बढ़िया फसल देखकर किसान की खुशी का ठिकाना ना रहा। वह मन ही मन फसल को अगले दिन काटने की योजना बना कर घर लौट आया।
अगले दिन जब किसान फसल काटने के लिए खेत पर पहुँचा तो वह भौंचक्का रह गया। उसका खेत खाली पड़ा था। उसकी सारी फसल रातों-रात चोरी हो गई थी। किसान भारी मन से घर लौट आया। अगले दिन लाचार हो कर वह किसान राजदरबार में पहुँचा, वहाँ उसने राजा को अपनी व्यथा सुनाई और चोर को पकड़ने की प्रार्थना की। राजा ने शांति से किसान की व्यथा पर विचार किया और फिर अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे राज्य के सभी किसानों को पकड़ कर दरबार में ले आएँ।
जब सभी किसान दरबार में उपस्थित हो गए तो राजा ने उन्हें चोरी के विषय में बताने के बाद कहा, “मैं आप सभी को एक ही नाप की लकड़ी की छड़ी दूँगा जिसको आप सभी अपने साथ अपने घर ले जाएँगे। यदि आप में से किसी के घर में फसल का चोर होगा तो उसकी छडी अपने आप दो अंगुल बढ़ जाएगी।" इसके बाद राजा ने सभी किसानों को अपने घर लौट जाने का आदेश दिया।
उनमें से जो किसान चोर था, उसे चिंता सताने लगी। उसने मन ही मन सोचा, 'कल तक तो ये जादुई छड़ी दो अंगुल बढ़ जाएगी। फिर छड़ी नापने के बाद यह सिद्ध हो जाएगा कि मैंने ही फसल चुराई है। यदि मैं इसे दो अंगुल काट दूं तो कल दरबार में इस छड़ी का नाप बाकी छड़ियों के बुराबर ही होगा और फिर मैं पकड़ा भी नहीं जाऊँगा।' ऐसा सोचकर उसने छड़ी को दो अंगुल छोटा कर दिया।
अगले दिन सभी किसान राजदरबार में एकत्रित हुए। उन सभी की छड़ियों को नापा गया तो एक छड़ी और छड़ियों की तुलना में दो अंगुल छोटी पाई गयी। राजा समझ गया कि चोर कौन है।
राजा ने चोर को कारावास की सजा सुनाई और उसे आदेश दिया कि वह चोरी की सारी फसल लौटा दे। राजा के न्याय की सभी ने प्रशंसा की।
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