धर्म-अध्यात्म-दान
Dharam-Adhyata-Daan
व्यक्ति के विचार जैसे होंगे वैसे ही रूप में वह भगवान के अस्तित्व को देखेगा।
स्वेट मार्डेन
ईश्वर का नाम सभी लेते हैं, परंतु केवल ईश्वर का नाम लेने से ही ईश्वर को पाया नहीं जा सकता है।
गुरु नानक देव
हीरा और सोने के आभूषण मुफ्त नहीं बंटते। पंचामृत और तुलसीपत्र ही प्रसाद में मिलता है। माला घुमाने और अगरबत्ती जलाने की कीमत पर किसी की मनोकामना पूरी करने वाले देवी देवता अभी जन्मे नहीं हैं।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
धर्म का फल इस जीवन में नहीं मिलता। हमें आंखें बंद कर, नारायण पर भरोसा रखते हुए, धर्ममार्ग पर चलते रहना चाहिए।
अज्ञात
देवता को न पाकर हम पाषाणप्रतिष्ठा करते हैं। देवता मिल जाए तो पाषाण को कौन पूजे!
प्रेमचंद
दुनिया को छोड़ने से परमात्मा नहीं मिलता। परमात्मा मिलने से दुनिया अपनेआप छूट जाती है।
आचार्य रजनीश
विज्ञान भौतिक सुखसुविधाएं देता है तो अध्यात्म मानसिक संपन्नता देता है। दोनों आवश्यक हैं। बिना आध्यात्मिक संपदा के मनुष्य भिखारी ही रहता है।
आचार्य रजनीश
जब हाथ, पैर और शरीर अस्वच्छ हो जाता है, जल उन्हें धोकर शुद्ध कर देता है। जब वस्त्र अस्वच्छ हो जाते हैं, साबुन उन्हें अवश्य स्वच्छ कर देता है। जब मन पाप और लज्जा से अशुद्ध हो जाता है तब ईश्वर नाम के प्रेम से वह स्वच्छ हो जाता है।
गुरु नानक देव
यदि कोई राजा से मिलना चाहे तो प्रथम उसे राजा के किसी कृपापात्र से मिलना पड़ता है। यदि कोई ईश्वर के दर्शन को तरस रहा हो तो उसे पहले ऐसे व्यक्ति से मिलना चाहिए जो ईश्वर में लीन हो गया हो।
गुरु नानक देव
वह ईमान वाला नहीं है, जो अपनी अमानत को पूरा नहीं करता और उसका कोई धर्म नहीं है, जो अपने वादों को पूरा नहीं करता।
हजरत मोहम्मद
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