धर्म-अध्यात्म-दान 
Dharam-Adhyata-Daan



भगवान के सामने सच्चे हृदय से अपने दोष स्वीकार करने से दोषों का परिमार्जन हो जाता है।

अज्ञात


सच्चा भक्त वह है जिसमें तड़पन हो, करुणा हो और सक्रियता हो।

अज्ञात


जब तक हृदय में स्वार्थपरता रहती है, तब तक भगवान से प्रेम नहीं हो सकता है।

अज्ञात


हाथ की शोभा कंगन से नहीं, दान से है।

अज्ञात


अंतःक्षेत्र की कालिमा धुले तो परमात्मा का प्रकाश अंदर पहुंचे।

अज्ञात


नास्तिकता ईश्वर की अस्वीकृति को नहीं, आदर्शों की अवहेलना को कहते

 अज्ञात


व्यक्ति की संवेदना को परिष्कृत करने वाली विद्या है : धर्म ।

अज्ञात


जो धर्म मानव की अनर्थों से रक्षा नहीं कर सकता है, वह धर्म निरर्थक

है।

वाल्मीकि


जो भी रचा जाता है और जो भी रचा नहीं जाता है, वह परमात्मा है।

महात्मा गांधी


जिसे धर्म की शक्ति पर, धर्मस्वरूप भगवान की अनंत करुणा पर पूर्ण विश्वास है, नैराश्य का दुःख कभी उसे पास नहीं फटक सकता।

महात्मा गांधी


त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से पाप का ब्याज।

विनोबा भावे