साहित्य-कला
Sahitya-Kala
कला का सबसे सुंदर रूप छिपाव है, दिखावा नहीं।
प्रेमचंद
बुरी पुस्तकें पढ़ना जहर समान है।
टालस्टाय
मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूंगा, क्योंकि इनमें वो शक्ति है कि जहां ये होंगी वहां आप ही स्वर्ग बन जाएगा।
लोकमान्य तिलक
जो कृतिकारों की धूल उड़ाते हैं उनमें अधिकांशः पूढ व परगुणद्वेषी होते
शेली
सबसे जीवित रचना वह है जिसे पढ़ने से प्रतीत होता हो कि लेखक ने अंतर से सब कुछ फूल की तरह प्रस्फुटित किया है।
शरतचंद्र
जो पुस्तकें तुम्हें जितना अधिक सोचने के लिए विवश करें, वे तुम्हें उतनी ही सहायता देती हैं।
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