ईसा मसीह
Isa Masih
ईसा मसीह ईसाई धर्म के प्रवर्तक है। इस धर्म के मानने वालों की संख्या संसार में सबसे अधिक है। इस धर्म में अनेक सम्प्रदाय है। ईसाई धर्म का प्रमुख ग्रंथ बाइबिल है। इसमें जीसस क्राइस्ट (ईसा मसीह) व उनके शिष्यों के वचन व उपदेश संग्रहीत है। सभी ईसाईयों के लिए ईश्वर पिता के समान है और क्राइस्ट उनके पुत्र और मानवता के रक्षक के रूप में है।
जीसस क्राइस्ट का जन्म 25 दिसम्बर, 6-5 ई. पूर्व बेथलेहम के एक यहूदी परिवार में हुआ था। उनके पिता जोसेफ पेशे से खाती थे। इनकी माता का नाम मैरी था।
30 वर्ष की आयु में जीसस ने उपदेश देने और धर्म का प्रचार प्रारम्भ किया। उन्होंने कई चमत्कार भी कर दिखाये। इनमें प्रभावित होकर लोग बड़ी संख्या में इनके अनुयायी बनने लगे। उन्होंने अहिंसा मन की पवित्रता और अपने पापों के प्रायश्चित पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि प्रभु को अपने पिता की तरह जानों उनका सम्मान करों और अपने पापों के लिए प्रायश्ति करों। ईसा मसीह के 12 प्रमुख शिष्य थे। लगभग जब ईसा मसीह 33 वर्ष के थे उनको सूली पर चढ़ा दिया गया। उन पर धर्म निन्दा और लोगों को बरगलाने के झूठे दोष लगाये गये।
इस मृत्युदंड के कुछ दिनों बाद क्राइस्ट पुनः जीवित हो उठे और कब्र से उठकर चल दिये। ईसाई लोग मानते है कि ईश्वर व उनके पुत्र जीसस में दृढ़ विश्वास और अपने पापों के प्रायश्चित से मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
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