क्रिसमस 
Christmas 



600 Words

क्रिसमस का त्यौहार विश्व के महान् त्यौहार में से एक है। क्रिसमस का त्यौहार न केवल ईसाइयों का ही त्यौहार है अपितु समस्त विश्व के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। 


सभी त्यौहार किसी न किसी महापुरूष की जीवन घटनाओं से सम्बन्धित है। क्रिसमस का त्यौहार ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह के जन्म दिवस के शुभावसर पर बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।


क्रिसमस का त्यौहार मुख्य रूप से ईसाई धर्म के अनुयायियों और उसके समर्थकों के द्वारा मनाए जाने के कारण अत्यन्त महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार विश्व का सबसे बड़ा त्यौहार है, क्योकि ईसाई धर्म की विशालता ओर उससे प्रभावित अन्य धार्मिक मानस वाले व्यक्ति भी इस त्यौहार के मनाने में अपनी खुशियों और उमंगों का बार बार प्रस्तुत करतें है। क्रिसमस का त्यौहार इसीलिए सम्पूर्ण विश्व में बड़ी ही लगन और तत्परता के साथ प्रति वर्ष सर्वत्र मनाया जाता है। 


क्रिसमस का त्यौहार प्रति वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है। आने वाले 25 दिसम्बर की प्रति वर्ष बड़ी उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा की जाती है। इसी दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था जो ईसवी सन् के आरम्भ की प्रतीक और द्योतक है। 


इस संसार में महाप्रभु ईसा मसीह के इस जन्म दिन को बड़ी पवित्रता और आस्थापवूर्वक मनाया जाता है। इस दिन ही ऋद्धालु ओर विश्वस्त भक्त जन ईसा मसीह के पुनर्जन्म की शुभकामना किया करते है। उनकी याद में विभिन्न स्थलों पर प्रार्थनाए और स्तुतियां भी की जाती है। 


कहा जाता है कि ईसा मसीह का जन्म 25 दिसम्बर की रात को बारह बजे बेथलेहम शहर में एक गौशाला में हुआ था। माँ ने एक साधारण कपड़े में लपेट कर ईन्हें धरती पर लिटा दिया था। स्वर्ग के दतों से संदेश पाकर धीरे-धीरे लोगों ने ईसा मसीह को एक महान आत्मा के रूप में स्वीकार कर लिया। 

ईश्वर ने उन्हें इस धरती पर मुक्ति प्रदान करने वाले के रूप में अपना दूत बनाकर भेज दिया था। जिसे ईसा मसीह ने पूर्णतः सत्य सिद्ध कर दिया। इनके विषयों में यह भी विश्वासपूर्वक कहा जाता है कि आज बाहुत साल पहले दाउद के वंश में मरियाप नाम की कुमारी कन्या थी जिससे ईसा मसीह का जन्म हुआ। जन्म के समय ईसा मसीह का नाम एमानुएल रखा गया। एमानुएल का अर्थ है-मुक्ति प्रदान करने वाला। इसीलिए ईश्वर ने इन्हें संसार में भेजा था। 


ईसा मसीह सत्य, अहिंसा और मनुष्यता के सच्चे संस्थापक और प्रतीक थे। इसके सामान्य और साधारण जीवनाचरण को देखकर हम यही कह सकते हैं कि ये सादा जीवन, उच्च विचार के प्रतिवाद और संस्थापक महामना थे। 


ईसा मसीह ने भेड़-बकरियों को चराते हुए अपने समय के अंधविश्वासों और सदियों के प्रति विरोधी स्वर को फूंक दिया था। इसीलिए इनकी जीवन दशाओं से क्षुब्ध होकर कुछ लोगों ने इनका कड़ा विरोध भी किया था। 


इसके विरोधियों का दल एक ओर था तो दूसरी ओर इनसे प्रभावित इनके समर्थकों का भी दल था। इसलिए ईसा मसीह का प्रभाव और रंग दिनोंदिन जमता ही जा रहा था। 


उस समय के अज्ञानी और अमानवता के प्रतीक यहूदी लोग इनसे घबड़ा उठे थे और इनको मूर्ख और अज्ञानी समझते हुए इन्हें देखकर जलते भी थे। इसलिए उन्होंने ईसा मसीह का विरोध करना शुरु कर दिया। यहूदी लोग अत्यन्त कर स्वभाव के थे, इसलिए उन्होंने ईसा मसीह को जान से मार डालने का उपाय सोचना शुरु किया। 


इसके विरोध करने पर ईसा मसीह ने उत्तर दिया करते थे-“तुम मुझे मार डालोगे और मैं तीसरे दिन फिर जी उठा।” प्रधान न्याय कर्ता विलातुस ने शुक्रवार के दिन ईसा को शूली पर लटकाने का आदेश दे दिया। इसलिए शुक्रवार के दिन को लोग गुड फ्राइडे कहते हैं। ईस्टर शोक का पर्व है जो मार्च या अप्रैल के मध्य में पड़ता है। 


ईसा मसीह की याद में क्रिसमस का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाना चाहिए जो मनुष्यता का प्रेरक और संदेशवाहक है। इसलिए हमें इस त्योहार को श्रद्धा और उमंग के साथ अवश्य मनाना चाहिए।