परिश्रम
Parishram
संसार में सबसे बड़ा दिवालिया वह है जिसने अपना उत्साह खो दिया है, चाहे उसका सब कुछ क्यों न चला गया हो। यदि उसने अपना उत्साह बचा लिया है तो वह मुसीबतों का मुकाबला कर फिर से सफलता प्राप्त कर लेगा।
एच. डब्ल्यू, अरनॉल्ड
संसार के समस्त संबंध तथा पदार्थ क्षणिक हैं, केवल अपना कर्म ही शेष रहता है।
धनंजय
कार्य को अच्छी तरह करने के लिए उसमें रस लेना चाहिए और कार्य में रस आए इसके लिए कर्म आपकी पसंद का होना चाहिए। जिन लोगों ने राष्ट्र, संस्कृति जैसे निर्माण के बड़ेबड़े कार्य किए हैं वे सभी तत्पर और जागृत कार्यकर्ता थे, जयजयकार के फेर में न पड़कर, अच्छे फल के लिए कोशिश कीजिए।
विट्ठलदास मोदी
काम ही भावनाओं का आग्रज होता है।
डॉ. जॉर्ज डब्ल्यू क्रेन
इससे बड़ी कोई घातक भूल नहीं हो सकती कि हम किसी मंजिल को अंतिम लक्ष्य समझें या किसी पड़ाव पर अधिक देर तक ठहरे रहें।
महर्षि अरविंद
अच्छाई से नजदीकी और बुराई से दूरी बनाकर कर्म करने में ही भलाई
अज्ञात
हमारा मन एक उपजाऊ भूमि है जिसमें जो वस्तु चाहो सीधे रास्ते से पैदा कर सकते हो।
अज्ञात
कर्महीन मनुष्य शिक्षा का, दान का अधिकारी नहीं हो सकता।
अज्ञात
अपने पुरुषार्थ से अर्जित ऐश्वर्य का ही दूसरा नाम सौभाग्य है।
अज्ञात
देश कभी चोर-उच्चकों की करतूतों से बरबाद नहीं होता, बल्कि शरीफ लोगों की कायरता और निकम्मेपन से होता है।
शिव खेड़ा
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