हिंदी निबंध - आतंकवाद का घिनौना चेहरा 
Atankwad ka Ghinona Chehra


आतंकवाद घिनौना चेहरा इसलिए है क्योंकि यह अलगावाद से जुड़ा है। जैसे ब्रिटिश शासकों ने भारत में शासन करने के लिए 'फूट डालो और राज करो' की नीति अपनाई थी उसी तरह आतंकवादी संगठन इस नीति को अपनाए हुए हैं और भारत को स्थिर करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। यों तो आतंकवाद की कोई पक्की अवधि तय नहीं की जा सकती पर 1983 से पहले आतंकवादी गतिविधियाँ छुटपुट थीं, बाद में बढ़ने लगीं। पंजाब में 1983 के बाद सत्ता हथियाने के फ़िराक में विभिन्न राजनीतिक पाटियों ने आतंकवाद को हवा देनी शुरू कर दी। आपरेशन ब्लू स्टार के बाद ये गतिविधियाँ और बढ़ गई। बाद में ये आतंकवादी गतिविधियाँ पूरे देश में फैल गई। पाकिस्तान ने तो भारत में आतंकवादी घटनाएँ फैलाने का जैसे जिम्मा ही ले रखा है। आतंकवाद के कारण भारत को अपनी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और उनके सुपुत्र पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को खोना पड़ा है। भारत विभिन्न राज्यों में आतंकवादी गतिविधियों से दो-चार हो रहा है। यही नहीं अब तो पूरा विश्व ही आतंकवादियों के निशाने पर है। कथित आतंकवादी हिंसा के मार्ग से स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं पर आज तक इन्हें अपने मकसद में कामयाबी नहीं मिल पाई है। अमेरिका में आतंकवादी हमला हो या, भारतीय संसद पर हमला, आज तो पाकिस्तान को भी आतंकवादी हमले झेलने पड़ रहे हैं। भारतीय सीमा सुरक्षा बल, भारतीय सेना ने अपनी जान पर खेल कर पंजाब में आतंकवाद का खात्मा किया, जो सिखस्तिान के लिए संघर्ष कर रहा था। अब आतंकवादियों का निशाना कश्मीर है। कश्मीर में आए दिन आतंकवादी हमले हो रहे हैं। रोजाना चार-पाँच आंतकवादी मारे जा रहे हैं। मुंबई के आतंकवादी हमले का सच सामने आ चुका है। पठानकोट हमले का भी भेद खुलने लगा है। आतंकवादियों का एक ही मकसद है भारत को तोड़ दिया जाए पर उन्हें यह मालूम नहीं है कि भारत की अखण्डता को कोई आँच तक नहीं पहुंचा सकता। यहाँ के रणबांकुरे मरना जानते हैं पर अपनी भारत भूमि को आतंकवादियों के हाथों जाने नहीं दे सकते। कितने ही रेलगाड़ियों पर बम विस्फोट कर ले, कितने ही निरअपराधियों की विस्फोट से जान ले लें, एक दिन यह आतंकवाद ज़रूर हारेगा। अब विश्व आतंकवादियों का घिनौना चेहरा पहचान चुका है और अब तो पूरा विश्व आतंकवाद के खिलाफ एक हो रहा है जिसके नतीजे भी आने लगे हैं।