हिंदी निबंध - बेरोज़गारी की समस्या
Berojgari Ki Samasya
भारत में बेरोजगारी गंभीर रूप धारण कर चुकी है। यों तो इस समस्या से विश्व के कई देश प्रभावित हैं पर उनकी आबादी कम है, इसलिए वे किसी न किसी प्रकार से इस पर नियंत्रण करने में सफल हो रहे हैं पर भारत में इसका विकट रूप दिखाई दे रहा है ।
बेरोजगारी ने भारत में आजादी के बाद अपना फन उठाना शुरू किया और इतनी बढ़ गई कि इस पर नियंत्रण करना मुश्किल हो गया है। बेरोजगारी बढ़ने का एक कारण यह है कि यहाँ रोज़गार का अधिकार संविधान में नहीं है, जबकि अधिकतर देशों में यह संविधान से प्राप्त है। बेरोजगारी तब बढ़ती है जब योग्य व्यक्ति को काम नहीं मिलता अथवा अपनी योग्यता के अनुसार नहीं मिलता। व्यक्ति काम करने के लिए तैयार है पर देश में उसके लिए काम नहीं है। यों तो बेरोजगारी शहरों में ज्यादा दिखाई देती है पर अब गाँव में भी देखी जा सकती है। चाहे शहर में व्यक्ति रह रहा हो अथवा गाँव में, पर बेराजगारी से उसे दो-चार होना ही पड़ रहा है। गाँवों में रोज़गार के मौके बहुत कम हैं शहरों में हैं पर वहाँ भी वह बेरोजगार है।
भारत में बेरोजगारी के कई प्रकार हैं। जैसे शिक्षित बेरोज़गारी। युवा पूरी तरह प्रशिक्षित हैं पर काम नहीं मिल रहा है। डॉक्टर, इंजीनियर, विज्ञानी बेरोजगार हैं। सरकार के पास उनके लिए काम नहीं है। यही नहीं, निजी संस्थानों में भी उनके लिए काम नहीं है। कुछ इस तरह के बेरोजगार हैं जो रोजगार से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त हैं पर काम नहीं मिल रहा है। जैसे औद्योगिक प्रशिक्षण। कुछ इस तरह के बेरोजगार हैं जो काम कर रहे हैं पर उन्हें अपनी योग्यता के अनुसार नहीं मिल रहा है। वे अपने व्यवसाय से सदा असंतुष्ट रहते हैं। इस कारण जो काम करते हैं उसमें भी पूरा ध्यान नहीं लगा पाते। ऐसे बेरोजगारों को उतना वेतन भी नहीं मिल पाता जितने के वे हकदार होते हैं।
बेरोजगारी के जब कारणों की तलाश करते हैं तो उसमें एक कारण यह मिलता है कि आज औद्योगीकरण के कारण नए साधनों का विकास हुआ है। जो काम पहले हाथ से होता था, अब मशीनों से होने लगा है। जैसे कंप्यूटर ने बहुत-से राज़गारों को बेरोज़गार बना दिया है क्योंकि यह अनेक का काम कुछ सेकेण्डों में निबटा देता है। कृषि, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई बर्तनों का बनाना आदि ऐसे काम थे जिनसे बहुत-से लोगों को रोजगार मिलता था पर अब नई तकनीक के कारण परपरागत काम करो वाले बेरोजगार हो गए हैं।
बेरोजगारी बनने का एक कारण जनसंख्या में बढ़ोतरी है। आजादी के बाद देश की जनसंख्या बढ़ी है अब तो यह एक अन के करीब पहुंच गई है। सीमित जनसंख्या हो तो सरकार रोजगार को संवैधानिक गारंटी में भी शामिल कर सकती है। जितना उद्योगों का विकास हो रहा है उतनी ही आबादी बढ़ रही है। इसलिए वेरोजगारी जस की तस है। अगर इससे निजात पाना है तो जनसंख्या पर नियन्त्रण करना होगा और नवीनतम औद्योगिक विकास करना होगा ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके। ग्रामीण बेरोजगारी दूर करने के लिए परंपरागत संसाधनों को विकसित करना होगा और उसके लिए बाजार तैयार करना होगा। तभी बेरोजगारी पर विजय पाई जा सकती है।
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