हिंदी निबंध - भ्रष्टाचार की समस्या 
Bhrashatachar Ki Samasya


अगर सीधे-साधे शब्दों में बात की जाए तो भ्रष्टाचार का अर्थ है-मर्यादा से हटकर आचरण करना। जब व्यक्ति अपनी पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक प्रतिष्ठा ताक पर रखकर स्वार्थ आगे रखकर आचरण करने लगता है, तब उस आचरण को भ्रष्टाचरण की संज्ञा दी जाती है। स्वतंत्रता से पहले व्यक्ति को अपने देश, अपने समाज, अपने परिवार की प्रतिष्ठा और गौरव का ध्यान रहता था लेकिन आज़ादी के बाद जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ा, भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें जमानी शुरू कर दी। भारत विकास की ओर बढ़ रहा है पर भ्रष्टाचार उसके साथ-साथ चल रहा है।

भ्रष्टाचार मानव सभ्यता के साथ-साथ बढ़ा है, पहले आटे में नमक जितना था आज नमक में आटे जितना हो गया है। आजादी के बाद हर सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने के प्रमुख मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ती है पर सत्ता में आने के बाद वह प्रष्टाचार तो व्या खत्म करती है, स्वयं ही उसके आरोपों में घिर जाती है। किसी समय बोफार्स घोटाला खुब चमका, आज व्यापम घोटाला, हैलीकॉप्टर खरीद घोयला आदि न जाने कितने बड़े घोटाले देश के सामने मुंह फैलाए खड़े हैं।

आखिर भ्रष्टाचार क्यों चढ़ रहा है, इसका सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाए तो कहा जा सकता है कि यह हमारी जीवन शैली का अहम हिस्सा बन गया है। आज स्वार्थी भारतीय इसे सुविधा शल्क, कमीशन जैसे नए नामों से संबोधित कर इसका औनिता बतलाने लगा है। अगर आपके पास धन है तो आप चाहे अयोग्य क्यों न हों. योग्य की श्रेणी में गिने जा सकते हैं। जीवन का कोई कोना शेष नहीं रहा है जहाँ भ्रष्टाचार की गंध न हो। आज पब्लिक स्कूल में दाखिला कराना हो तो सही फीस 50 हजार है तो भ्रष्टाचार से दाखिला कराने की फीस पाँच लाख। खाने-पीने की हर चीज़ को आसानी से हासिल करने के लिए प्रष्टाचार का आश्रय लेना पड़ता है। आपको तत्काल टिकट नहीं मिलेगा लेकिन भ्रष्टाचारी आपको तत्काल टिकट दिला देंगे। आपको अस्पताल में विस्तर नहीं मिलेगा पर भ्रष्टाचारी आपको कुछ मिनटों में भ्रष्टाचार के हथियार से यह सुविधा मुहैया करा देंगे। वर्तमान सरकार ने कई काम ऐसे किए हैं जिनसे भ्रष्टाचार खत्म होने की संभावना बनती है। . अगर हम भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहते हैं तो हमें स्वयं भ्रष्टाचार से मुंह मोडना होगा। आज वैयक्तिक जीवन की होड़ में व्यक्ति प्रष्टाचार कर रहा है। अगर वह संतोष और ईमानदारी से देशभक्ति के भाव आत्मसात कर समाज में रहता है तो प्रष्टाचार को नकेल लग सकती है। साथ ही भ्रष्टाचारी अगर पकड़ा जाए तो उसे इतना कडा दण्ड मिले कि अन्य भ्रष्टाचार करने को सौ बार सोचें। देशभक्ति की भावना जिसमें होगी वह भ्रष्टाचार से दूर होता चला जाएगा। इसलिए जो अपने आप को समाज व देश से ईमानदारी से जोड़ेगा, भ्रष्टाचार से मुक्त हो जाएगा और देश में व्याप्त भ्रष्टाचार कम करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।