हिंदी निबंध - डॉक्टर हड़ताल 
Doctor Hadtal

जब कर्मचारी अपनी माँग मनवाने के लिए हड़ताल का सहारा लेते हैं तब कई बार आम जन जीवन के लिए मुसीबत का सबब बन जाता है। अपनी मांगें मनवाने के लिए हड़ताल बेशक अच्छा कदम है लेकिन जब आवश्यक सेवाओं के कर्मचारी भी हड़ताल पर आमादा हो जाते हैं तव पेरशानी खड़ी हो जाती है। ऐसी ही घटना से मुझे भी पिछले दिन गुजरना पड़ा। हुआ यह कि मेरा मित्र विकास कॉलेज में पढ़ते हुए अचानक बेहोश हो गया। हृदयगति जोर-जोर से धड़कने लगी। मैं उसे नजदीक के राम मनोहर लोहिया अस्पताल लेकर पहुंचा। वहाँ पहुँचा तो डॉक्टर हड़ताल पर थे। जानकर बहुत दुःख हुआ। सभी रोगियों की हालत खराब थी। जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रहे थे और हमारे भगवान् के रूप कहे जाने वाले डॉक्टर अपनी मांगें पूरी करने के लिए जोर-शोर से नारे लगा रहे थे। चाहे कितना भी गंभीर रोगी क्यों न था, उन्हें उसके जीवन की कतई चिंता न थी। जो मरीज अस्पताल में दाखिल थे, दवाइयों के लिए तड़प रहे थे। बहुत-से मरीज तो लगता था कि दो-तीन घटों के मेहमान थे। पर डॉक्टरों का दिल नहीं पसीज रहा था। मरीजों में कुछ तो ऐसे थे जो युवा थे, वे तकलीफ सहन करने की कोशिश कर रहे थे पर बुजुर्गों की हालत और ज्यादा खराब थी। चीख रहे थे पर उनको कोई संभालने वाला न था। मैंने तो हड़ताल देखकर अपने मित्र को निजी अस्पताल में दाखिल करा दिया। चौबीस घंटे बाद हड़ताल खत्म होने पर ही उन मरीजों की दवा-दारू शुरू हो पाई। धन्य है ये मरीजों के भगवान्। जिन्हें मरीज नहीं हड़ताल प्यारी है।