हिंदी निबंध - वाहनों की बढ़ती संख्या 
Vahno Ki Badhti Sankhya 


देश जैसे-जैसे विकसित होता जा रहा है जैसे-वैसे गाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। गांवों के मुकाबले क्योंकि शहरों का विकास तेजी से हो रहा है इसलिए नगरों-महानगरों में वाहनों की संख्या में पिछले सालों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। अगर दिल्ली को आधार मान लिया जाए तो कहा जा सकता है कि केवल इसी महानगर में वाहनों की संख्या पचास लाख से ज्यादा है। लोग पहले की तुलना में ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं, इसलिए वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। आज तो हालत यह है कि एक मध्यवर्गीय परिवार में भी कार, स्कूटर तो होगा ही। जो धनिक वर्ग है उनके परिवारों में दो-दो, तीन-तीन कारें मिल जाएंगी। जितने ज्यादा वाहन होंगे शहरों की सड़कों पर जाम लगेगा। लोगों को आने-जाने में दिक्कत होगी। सचाई तो यह है कि आज कार रखना मध्यवर्ग के लिए स्टेट्स सिंबल गिना जाने लगा है। लेकिन अगर वाहन ज्यादा होगे तो सड़कों पर आवाजाही में दिक्कत होगी। इसलिए जरूरी हो जाता है कि इस पर नियंत्रण लगाया जाए। यह ठीक है कि वाहन खरीदना व्यक्ति को निजी चाहत है। उस पर सरकार किसी तरह की रोक नहीं लगा सकती है मगर यह भावना व्यक्ति के अपने मन में तो उठनी ही चाहिए। वाहन आवश्यकता होने पर सड़क पर उतारे जाएंगे तो इससे सड़कों पर भीड़ कम होगी। पेट्रोल भी बचेगा। जहाँ मेट्रो से जाया जा सकता है वहाँ अगर मेट्रो से जाया जाए तो, इससे सड़क पर वाहनों का अभाव होगा। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली में कार चलाने के लिए जो नया फार्मूला इजाद किया है। इससे दिल्ली वामियों को बड़ा फायदा पहुंचा। सड़क पर वाहन कम दिखाई दिए और पैदल चलने वालों को राहत पहुँची। वाहन पर नियंत्रण स्वविवेक से लगाना होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो लोग जाम में फंसते रहेंगे और लोगों उन्हें अपने-अपने काम धंधे पर, रफ्तरों पर पहुँचना निश्चित रूप से मुश्किल हो जाएगा।