हिंदी निबंध - जनसंख्या विस्फोट 

Jansankhya Visfot


एक समस्या भारत की विभिन्न विस्फोटक समस्याओं में एक समस्या जनसंख्या की है। सरकार विभिन्न समस्याओं को दूर करने का प्रयल करती है पर बढ़ती जनसंख्या उसके प्रयास विफल कर देती है। आजादी के बाद जहाँ देश में स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं का विस्तार हुआ है उसका प्रभाव मृत्यु दर पर पड़ा है। अगर 2012 के आंकड़ों को आधार बनाया जाए तो भारत की जनसंख्या तब एक सौ बीस करोड़ थी और तब से निरन्तर बढ़ ही रही है। आज तो यह करीब सवा अरब तक पहुँच गयी होगी। कल्पना कीजिए. सवा अरब जनसंख्या के लिए रोटी, कपड़ा और मकान की सुविधाएं मुहैया कराना कितनी टेढ़ी खीर है।

जनसंख्या बढ़ने से ये तीन समस्याएँ सबसे पहले आती हैं। सबसे पहले इतनी बड़ी आबादी के लिए भोजन का प्रबंध करना, फिर कपड़े का और बाद में मकान का। इतनी बड़ी आबादी के लिए भोजन का प्रबंध करने के लिए खेती के लिए भी ज्यादा जगह चाहिए। फिर इनके रहने के लिए स्थान की भी जरूरत है। जब विस्तृत भारत की भी सीमाएँ हैं और उन सीमाओं में रहकर उसने लोगों के लिए रोटी कपड़ा और मकान का इंतजाम करना है तब यह जनसंख्या पर नियंत्रण करके ही तो किया जा सकता है। जब जनसंख्या बढ़ती है तो विकास कार्य प्रभावित होते हैं। आखिर विकास कार्य के लिए स्थान की आवश्यकता होगी। और इसके लिए खेतीहर जमीन या जंगल को निशाना बनाया जाएगा। परिणामतः कम अनाज पैदा होगा, रहने के स्थान का अभाव होगा। कपास का उत्पादन न होने पर वस्त्रों की कमी आएगी।

इसके लिए सीधा-सा उपाय यह है कि जनसंख्या पर नियंत्रण किया जाए। यह नियंत्रण व्यक्ति अपने पर नियंत्रण लगाकर कर सकता है। इसके लिए सरकारी स्तर पर अथक प्रयास किए जा रहे हैं, उन पर लोगों को ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर कम बच्चे होंगे तो परिवार उन्हें बेहतर सुविधाएं मुहैया करा सकेगा। इसके लिए सरकार की ओर से योजित परिवार कल्याण कार्यक्रम का अनुकरण होगा। जनसंख्या रोकने के सरकारी उपाय जैसे नसबंदी, लूप, निरोध आदि ऐसे उपाय हैं, जिनसे वासनात्मक आनंद में कमी भी नहीं आएगी और जनसंख्या नियंत्रण भी होगा।

अगर परिवार कल्याण कार्यक्रम को बाकायदा पाठ्यक्रम में स्थान दे दिया जाए तो यह लोगों को अधिक जागरूक कर सकेगा। अगर बढ़ती जनसंख्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो देश को अकाल जैसी भयावह समस्याओं से जूझना पड़ सकता है. साथ ही जनसंख्या असंतुलन पर एक व्यक्ति दूसरे का दुश्मन हो सकता है।