हिंदी निबंध - किसानों की बढ़ती आत्महत्या 
Kisano Ki Badhti Atmahatya 


भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। इसीलिए कि यह खेतीहर देश था। यहाँ इतना अन्न उत्पन्न होता था कि अपने देश के अतिरिक्त बाहर भी भेजा जाता था। इसका कारण समय पर अच्छी बरसात होना था और इसके अतिरिक्त सिंचाई के बेहतरीन साधन थे। देश की आजादी के बाद खेती की जमीन तंग होने लगी, मौसम ने भी करवट ली और समय-असमय बरसात होने लगी। देश का औद्योगिकीकरण होने लगा, परिणामत: किसानों के सामने खेती का संकट आने लगा। भ्रष्टाचार बढ़ने से सरकारी सहायता किसानों तक नहीं पहँचने लगी। गरीबी से तंग आकर किसानों ने आत्महत्या करनी शुरू कर दी। आत्महत्या बहुत जघन्य अपराध है लेकिन करें भी क्या? बिहार, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब जैसे प्रदेश तो खेती के मामले में शिखर पर हैं, वहाँ भी आत्महत्या का सिलसिला जारी है। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि वे अपना और खेती का काम चलाने के लिए साहूकारों से कर्ज़ लेते हैं जब कर्ज नहीं दे पाते तो आत्महत्या जैसी घृणित राह चुनते हैं। सरकार किसानों को मदद देती है पर वह भी बिचौलियों के भेंट हो जाती है। जब तक सरकार ऐसी नीति नहीं अपनाएगी जिससे फसल बर्बाद होने पर किसानों को सीधा लाभ होगा तब तक आत्महत्याएँ रुकने वाली नहीं।