अनुशासन
Anushasan
अनुशासन मानवीय चरित्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। अनुशासन संयम का दूसरा नाम है। इसे आत्म नियंत्रण भी कहा जा सकता है। यह हमारे जीवन के लिये अत्यधिक आवश्यक है। अनुशासन के द्वारा हम अपने जीवन को नियमित तथा सुचारू रूप से चलाते हैं।
अनुशासन पूर्णतः एक प्राकृतिक गुण हैं। यानि प्रकृति भी हमें अनुशासन का ही पाठ पढ़ाती है। चांद-सूरज अपने समय से ही निकलते तथा अस्त होते हैं। सूरज सदैव पूरब दिशा से निकलकर पश्चिम में डूबता है। यानी प्रकृति कभी अपने नियमों या अनुशासन को भंग नहीं करती है।
एक छात्र के लिये अनुशासन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यदि छात्र को अपने जीवन में सफल होना है, तो उसे नियम से चलना ही होगा। छात्र जीवन में अनुशासन ही सिखाता है कि छात्र को सुबह जल्दी उठना चाहिये, नहा-धोकर नाश्ता करना चाहिये। समय से विद्यालय जाना चाहिये, विद्यालय की पढ़ाई खत्म होने के बाद घर आकर खाना खाना चाहिये। फिर दोपहर में थोड़ी देर के लिये सो जाना चाहिये। शाम को पार्क में अन्य बच्चों के साथ खेलने भी जाना चाहिये। इस प्रकार अनुशासन छात्रों के जीवन को नियमित तथा संयमित बनाता है तथा उन्हें गलत मार्ग पर जाने से रोकता है।
अनुशासन के बिना मानव जीवन की कल्पना करना भी कठिन है। सोचो यदि लोग यातायात के नियमों का पालन न करें तो कितनी दुर्घटनायें हों। यदि बैंक समय से न खुलें, लोग रेलवे आरक्षण में लाइन बनाकर बारी-बारी से आरक्षण न करायें तो, आम लोगों को कितनी परेशानी होगी। यह अनुशासन ही है जो हमें जीवन के हर मार्ग पर रोशनी डालता है। अनुशासन स्वयं में कुछ नहीं बस कुछ नियम हैं जिनका पालन कर हम अपने भविष्य को प्रकाशमय कर सकते हैं तथा जीवन में आने वाली कठिनाइयों से बच सकते हैं।
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