चिड़ियाघर की सैर
Chidiyaghar Ki Sair
पिछले माह की 28 तारीख को विद्यालय तथा सरकारी कार्यालयों का अवकाश था। हम सब बच्चे बैठे अपने विद्यालय का कार्य कर रहे थे। तभी पिताजी ने हम सब बच्चों को जल्दी तैयार हो जाने को कहा। उन्होंने कहा कि हम चिड़ियाघर चल रहे हैं। मैं, मेरी बहन प्रीति तथा मेरा छोटा भाई रोहित जल्दी-जल्दी तैयार हो गये। पिताजी पड़ोस के मिश्राजी के बच्चों प्रमोद तथा सरिता को भी चलने को कह आये। सब बच्चों में चिडियाघर देखने का अत्यधिक उत्साह था। पिताजी सुबह दस बजे हम सबको लेकर चले। उन्होंने चिड़ियाघर तक का एक ऑटो रिक्शा किराये पर लिया। हमने खाने के लिये मूंगफली, फल तथा कुछ टाफियाँ खरीद ली। चिडियाघर पहँच कर पिताजी ने प्रवेश टिकट खरीदे। बाहर से ही चिड़ियाघर देखने में बहुत बड़ा दिखाई दे रहा था। चारों तरफ विभिन्न प्रकार के पेड़ लगे थे। हर ओर हरियाली थी। जब हमने अन्दर प्रवेश किया तो देखा कि बड़े-बड़े पिंजड़े कतार से लगे थे। इन पिंजड़ों में लोमडी, भालू, सियार, तेंदुआ, शेर, चीता आदि हिंसक पशु बन्द थे। इनके पिंजड़े बहुत बड़े थे। शेर को पास से देखकर सब बच्चे अत्यंत रोमांचित थे। वह उस समय सो रहा था। कुछ लोगों ने उस पर छोटे-छोटे पत्थर फेंककर मारे। शेर क्रोधित हो गया तथा उसने जोर से दहाड़ लगाई।
पूरा चिड़ियाघर उसकी दहाड़ से गूंज गया तथा सब लोग डर गये। फिर बाद में चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने उन लोगों को शेर पर पत्थर फेंकने से रोका। पिताजी सब बच्चों को लेकर भालू वाले पिंजड़े की तरफ चले गये। वह अपने पिंजड़े में बैचेन होकर टहल रहा था। उसकी जाँघ में घाव था। फिर हम बच्चे पास के बन्दर तथा गुरिल्लाओं के पिंजड़ों के पास चले गये। वे अत्यंत विचित्र करतब कर रहे थे। कोई बन्दर पेड़ पर लटक रहा था तो दूसरा उसे खींच रहा था। गुरिल्ला अपने पिंजड़े में शान्त बैठा था। हमने बन्दरों तथा गुरिल्लाओं को मूंगफली तथा फल खाने को दिये। बदले में एक गुरिल्ला ने मेरे हाथ को चूमा। पहले तो मैं डरा किन्तु बाद में समझ गया कि बन्दर तथा गुरिल्ला अत्यन्त समझदार पशु होते हैं। चिड़ियाघर में अनेक प्रकार के सुन्दर पक्षी भी देखने को मिले। मोर, तोता, मैना, सारस, किंगफिशर, बुलबुल, नीलकंठ आदि पक्षी विभिन्न प्रकार की आवाजें निकाल रहे थे। फिर हमने मछलियों के तालाब को भी देखा। इसमे अनेक रंगों की छोटी-बड़ी मछलियाँ थी। चिड़ियाघर के कर्मचारी उन्हें खाने के लिये सूजी तथा बाजरा डाल रहे थे। हमें सबसे ज्यादा आनन्द घड़ियाल तथा मगरमच्छ देखने में आया। वे एक गहरे चौड़े स्थान में बंद थे। उनके लिये एक बड़ा तालाब अलग था। वे सब धूप में पड़े आराम कर रहे थे। पूरा चिड़ियाघर घूमने के पश्चात् हम घर लौटे। यह दिन वास्तव में अत्यंत रोमांचक रहा।
0 Comments