कुत्ता सामाजिक प्राणी 
Kutta Ek Samajik Prani



कुत्ता एक सामाजिक प्राणी है। यह मनुष्य के साथ-साथ रह सकता है। कुत्ता अपने मालिक के प्रति वफादारी के लिये पूरे संसार में प्रसिद्ध है। यह अपने मालिक के लिये अपने प्राण भी न्यौछावर कर सकता है। कुत्ते सड़कों, गलियों, मुहल्लों में आसानी से देखे जा सकते हैं। बहत से धनी घरों में कुत्ते घर की सुरक्षा की दृष्टि से पाले जाते हैं। रात में जब घर के मालिक सो जाते हैं तब कुत्ते जागकर अपने मालिक तथा उसके घर की रक्षा करते हैं। कुत्ते जैसे ही किसी अजनबी को देखते हैं तो उन्हें देखकर भौंकना शुरू कर देते हैं। इनके भौंकने की आवाज सुनकर घर का मालिक जाग जाता है तथा होशियार हो जाता है। कत्ते की आंखों के साथ-साथ इसके कान भी अत्यंत तेज होते हैं। कत्ते धीमी-से-धीमी ध्वनि को सुन सकते हैं। किसी भी आज पर इनके कान खड़े हो जाते हैं। कुत्ते की एक अन्य क्षमता इसको अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ तथा मनुष्य का प्रिय बनाती है। कुत्ते की सूंघने की क्षमता भी अत्यंत तीव्र होती है। यह जमीन में छिपी किसी संदिग्ध चीज को सूंघकर इसका पता लगा सकता. है। इसलिये बहुत से पुलिस वाले तथा बम निरोधक दस्ते के अधिकारी कुत्तों को अपने साथ अनिवार्य रूप से रखते हैं। कुत्ते अपनी तीव्र सूंघने की शक्ति से बहुत सी संदिग्ध वस्तुयें खोजकर पुलिस की सहायता करते हैं। इसलिये कुत्ते को मानव समाज का सबसे बड़ा सेवक माना जाता है। कत्तों की अनेक नस्लें होती हैं। इनमें कुछ तो अत्यंत मूल्यवान होते हैं। 


एल्सेशियन, लैब्रेडोर, बुलडॉग, डॉवरमैन कुत्तों की अति उत्तम तथा श्रेष्ठ प्रजातियाँ हैं। कुत्तों की वफादारी से समाज में इन्हें पालने का रिवाज चल पड़ा है तथा अब कुत्तों को पालना एक प्रकार का उच्च वर्ग तथा श्रेष्ठता का चिह्न बन गया है। अब तो नगरों में 'डॉग शो' भी आयोजित किये जाने लगे हैं। जहाँ सबसे सुन्दर तथा आकर्षक कुत्ते को पुरस्कार मिलता है। कुत्तों को खरीदने तथा बेचने का कार्य भी इन 'डॉग शो' में आसानी से हो जाता है। कुत्तों की प्रदर्शनी में कुत्तों की इतनी प्रजातियाँ देखने को मिलती है कि उनकी गणना संभव नहीं है। अंतत: इस बात को आसानी से स्वीकार किया जा सकता है कि वर्तमान समाज में कुत्तों का एक विशेष महत्व है। ये प्राचीन काल से ही मानव के प्रति वफादारी प्रदर्शित करते चले आ रहे हैं।

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