मेरे जीवन का यादगार दिन
Mere Jeevan Ka Yadgaar Din
मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन वह था जब मैं दिल्ली में गणतंत्र दिवस की भव्य परेड देखने गया था। उस दिन की यादें आज भी मेरे मन में बसी हुई हैं। असल में कुछ माह पहले मेरी कक्षा के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिता में विजय प्राप्त की थी। तब हमें पुरस्कार के रूप में गणतंत्र दिवस की भव्य परेड देखने का आमंत्रण मिला। परेड स्थल के लिये हमारे पास पहचान पत्र पहले ही आ गये थे।
जब हम परेड स्थल पहुंचे तो देखा कि सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई थी। हर व्यक्ति की कई बार तलाशी ली जा रही थी। जगह-जगह बम निरोधक पुलिस के दल तैनात थे। उनके पास बम आदि का पता लगाने के लिये विशेष उपकरण थे। हमारी भी कई बार तलाशी हुई।
कुछ देर बाद गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम आरम्भ हो गया। सबसे पहले राष्ट्रपति की कारों का भव्य काफिला आया। उनके पीछे-पीछे तीनों सेनाओं के प्रमुख भी थे तथा इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भी थे। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को भारत ने गणतंत्र दिवस पर अतिथि के रूप में परेड देखने के लिये आमंत्रित किया था। भारत के प्रधानमंत्री. लोकसभा अध्यक्ष तथा अन्य गणमान्य लोग पहले से ही अपना स्थान ग्रहण किये हुए थे। झंडारोहण के बाद राष्ट्रगान हुआ तब दूर-दूर तक परेड स्थल की जनता राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ी हो गयी। फिर गणतंत्र दिवस के शेष कार्यक्रम आरम्भ हुये। सबसे पहले भारतीय थलसेना, नौसेना तथा वायुसेना के जवान भव्य रूप में परेड करते हये निकले। उनके साथ अनेक प्रकार के आधुनिक उपकरण, तोपें, टैंक, रडार, मिसाइलें भी ट्रकों पर रखी हुई थीं। भारतीय सेना ने अपने अत्याधुनिक सैन्य यंत्र तथा हथियार दिखाकर यह संकेत दिया कि भारत एक अत्यंत शक्तिशाली देश है। उसके पीछे बीएसएफ, सीआरपीएफ, एनसीसी कैडेट की टोलियाँ राष्ट्रपति जी को प्रणाम करती हई निकल गयीं। फिर एक-एक करके सभी प्रदेशों की झाँकियाँ निकलीं। इन झाँकियों में संबोधित प्रदेश की सभ्यता तथा संस्कृति की झलक मिलती है। उत्तर प्रदेश की झाँकी भी अत्यंत सुन्दर थी जिसमें छोटी सी ताजमहल की आकृति बनाई गई थी तथा गन्ने तथा गेहूँ के खेत की आकृति बनाई गई थी। किन्तु सबसे मनमोहक झाँकियाँ पंजाब तथा मणिपुर प्रदेशों की थी। उसके बाद आकाश में वायसेना के पायलटों ने अपने लड़ाक जहाजों से अद्भुत करतब दिखाये। ऐसे लगता था कि अब ये जहाज आपस में टकराये किन्तु भारतीय पायलट अत्यंत कुशल थे। उन्होंने आकाश में तिरंगा की आकृति भी बनाई। वायुसेना के करतबों के कुछ देर पश्चात् कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा कर दी गई। राष्ट्रपति तथा अन्य गणमान्य लोग राष्ट्रपति भवन भोजन के लिये चले गये। हम भी वापस हुये। वास्तव में वह मेरा सबसे यादगार दिन था। इस दिन मैंने अत्यंत आनन्द लिया। इस दिन की स्मृति आज भी मेरे हृदय पर अंकित है।
0 Comments