मेरे पिताजी
Mere Pitaji
मेरा नाम राहुल सक्सेना है। मैं राहुल नगर में मकान नं. 10/15 में रहता हूँ। मेरे पिताजी का नाम श्री गोविन्द सक्सेना है। उनकी आयु चालीस वर्ष है। वह एम.डी.जैन इण्टर कॉलेज में भूगोल के प्रवक्ता हैं। वह एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति हैं। हमारा छोटा परिवार एक सुखी जीवन व्यतीत कर रहा है। मेरे अलावा उनके एक और संतान है, अर्थात् मेरी बहिन शिल्पा सक्सेना। हमारे पिताजी वास्तव में एक आदर्श व्यक्ति हैं। वह सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास करते हैं। जीवन की तड़क-भड़क तथा ऐशो आराम में उन्हें कोई रुचि नहीं है। वह सदैव कुर्ता पायजामा पहनते हैं। वह नियम तथा समय से विद्यालय जाते हैं तथा छात्रों को पूरी लगन से पढ़ाते हैं। वह और अधिक धन कमाने के लिये छात्रों को कभी ट्यूशन नहीं पढ़ाते हैं लेकिन कोई छात्र यदि उनसे कुछ पूछने जाता है तो वह उसे अवश्य बताते हैं। वह निर्धन छात्रों के प्रति अत्यंत दयाभाव रखते हैं। बहुत से विद्यार्थियों की कॉपी किताबों की व्यवस्था वह स्वयं करते हैं। इसीलिये मेरे पिताजी छात्रों में अत्यंत लोकप्रिय हैं। वह अपने व्यवहार से अत्यंत शिष्ट तथा मित्रवत हैं। उनके सभी साथी भी उनसे अत्यंत प्रसन्न रहते हैं।
मेरे पिताजी साहित्यिक रुचि वाले आदमी हैं। उनके द्वारा लिखे हए लेख बहुत से समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में छप चुके हैं। अब उनका एक कहानी संग्रह भी छप चुका है। घर में भी मेरे पिताजी अत्यंत सामान्य रूप में रहते हैं। उन्हें हमारी शिक्षा-दीक्षा की अत्यंत चिन्ता है। वह हम पर कड़ी निगरानी रखते हैं। वह हमें बहुत समझाते हैं किन्तु कभी मारते नहीं। उनका कहना है कि मार से बच्चे पर मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव पड़ता हैं। वह स्वयं नियमित जीवन जीने में विश्वास रखते हैं। वह प्रातः जल्दी उठते हैं तथा सैर पर भी जाते हैं। अपनी पत्नी के साथ भी उनका व्यवहार अधिकारात्मक नहीं है बल्कि सहयोगात्मक है। वह अपनी कथनी-करनी में कोई अन्तर नहीं रखते। उनको दोहरा जीवन जीने से अत्यंत घृणा है। परिवार पर आने वाली समस्याओं से वह कभी नहीं घबराते बल्कि उन्हें धैर्यपूर्वक दूर करने का प्रयत्न करते हैं। मेरे पिताजी विभिन्न गोष्ठियों में भी भाग लेते हैं। उन्हें समाज सेवा में रुचि है। इसीलिये वह रविवार को आस-पास के निर्धन बच्चों को निःशुल्क पढ़ाते हैं। वह हमें भी शिक्षित तथा अच्छे नागरिक के रूप में देखना चाहते हैं। मैं भी अपने पिताजी के आदर्शों को अपनाना चाहता हूँ तथा उनके सपनों को पूरा करना चाहता हूँ। मेरे पिताजी वास्तव में मेरे लिये आदर्श हैं।
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