मेरी माताजी
Meri Mataji
मेरा नाम पूजा है। मैं दिल्ली के मयूर विहार के सेक्टर नं. 2 में रहती हूँ। मेरी माता का नाम श्रीमती पूनम है। वह पैंतीस वर्षीय सुन्दर तथा मध्यम वर्गीय नारी हैं। वह उच्च शिक्षित महिला हैं तथा सरकारी अस्पताल में चिकित्सक हैं। मेरी माता घर में एक गृहिणी तथा बाहर एक चिकित्सक के उत्तरदायित्वों का सही प्रकार पालन करती हैं। वह एक नियमित जीवन व्यतीत करती हैं। वह प्रात:काल जल्दी उठ जाती हैं। स्नान करने के बाद वह प्रार्थना करती हैं। फिर हमारे लिए नाश्ता तैयार करती हैं। वह बहुत अच्छा खाना तैयार करती हैं। फिर वह अस्पताल जाने के लिए तैयार हो जाती हैं। मेरी माताजी सादा जीवन जीने में विश्वास रखती हैं। वह सदैव समय से अस्पताल पहुँचती हैं। वह वहाँ मरीजों का उपचार करती हैं। रोगियों, बच्चों तथा महिलाओं के प्रति उनके मन में अत्यंत दयाभाव है। वह निर्धन रोगियों को नि:शुल्क दवायें देती हैं।
मेरी माताजी कहती हैं कि जब सरकार निर्धन रोगियों के उपचार के लिये सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवायें भेजती हैं तो उन्हें दवायें मुफ्त मिलनी चाहिये तथा निर्धन रोगियों को सरकारी सहायता मिलनी चाहिये। कभी-कभी वह लोगों को पैसे देकर उनकी सहायता करती हैं। वह वास्तव में करुणा तथा दया की प्रतिमूर्ति हैं। उनके प्रेमपूर्ण व्यवहार के कारण सब लोग उनका आदर करते हैं। शाम के समय जब वह अपना कार्य पूर्ण करके घर आती हैं तो मेरे साथ बातें करती हैं। वह मुझसे प्रत्येक दिन का विद्यालय का हाल पूछती हैं। वह मेरा गृहकार्य करने में मदद करती हैं तथा मुझे शाम के समय अवश्य पढ़ाती हैं। शाम के समय वह अपने बचे हुये कार्य पूरे करती हैं। वह एक आदर्श पत्नी भी हैं। वह मेरे पिताजी का आदर करती हैं तथा उनसे कभी झगड़ा नहीं करती हैं। वह घर के सारे कार्य प्रसन्नतापूर्वक करती हैं तथा अपने दायित्वों से कभी नहीं भागती हैं। वह घर को सदैव सुव्यवस्थित करके रखती हैं। वह अपना तथा परिवार वालों के स्वास्थ्य का भी अत्यधिक ध्यान रखती हैं। यदि घर पर कोई रोगी उनके पास आता है तो कभी भी मना नहीं करती हैं। वह एक आदर्श महिला है तथा लोगों के दुःख दर्द दूर करने में सदैव आगे रहती हैं। अपनी माता के इन्हीं गुणों के कारण मैं उनसे अत्यधिक प्रेम करती हूँ तथा उनका आदर करती हूँ।
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