मेरी प्रिय पुस्तक 
Meri Priya Pustak



पस्तकें किसी व्यक्ति के लिये किसी अच्छे मित्र से कम नहीं होती हैं। ये हमारा मनोरंजन ही नहीं करतीं बल्कि हमें विभिन्न प्रकार की शिक्षायें भी देती है। यद्यपि मैंने अनेक पुस्तकों का अध्ययन किया है। किन्तु जिस पुस्तक ने मेरे मन को अत्यधिक प्रभावित किया है वह पुस्तक है 'रामचरितमानस'। इस पुस्तक के लेखक महाकवि गोस्वामी तुलसीदास हैं। इस पुस्तक में गोस्वामी तुलसीदास ने दशरथ पुत्र श्रीराम के आदर्श जीवन को प्रस्तुत किया है तथा उनके जीवन का हर कोण से चित्रण किया है। यह हिन्दी भाषा का ग्रंथ है। तुलसीदास सम्राट अकबर के समकालीन थे। यद्यपि रामचरितमानस केवल पाँच सौ वर्ष के लगभग पुराना है। किन्तु इस ग्रंथ ने भारतीय समाज पर एक अमिट छाप छोड़ी है।


मैंने यह ग्रंथ कई बार पढ़ा है तथा अब भी इसका अध्ययन करता हँ। यह हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। यह हमें बताता है कि विकट परिस्थितियों में भी निराश नहीं होना चाहिये। श्रीराम ने चौदह वर्ष का वनवास केवल अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिये काटा। भाइयों से उन्हें अगाध प्रेम था। रावण सीता माता को हर कर लंका ले गया। उस समय भी श्री राम निराश न हुये तथा रावण की बुराई के विरुद्ध संघर्ष करने का मन बनाया तथा वानरों की सेना को साथ लेकर लंकापति रावण को युद्ध में हराया तथा सीता को पुनः पा लिया। यह पुस्तक हमें जीवन में विभिन्न प्रकार के सम्बन्ध निभाना भी सिखाती है। राम-भरत में भाई-भाई का रिश्ता, राम-सुग्रीव में मित्रता, राम-सीता सम्बन्ध हमें आदर्श पति-पत्नी के बीच रिश्तों को दर्शाते हैं। इस प्रकार जीवन के हर मोड़ पर यह पुस्तक हमारा मार्गदर्शन करती है। यह पुस्तक हमें बताती है कि मनुष्य को कर्म तथा संघर्ष का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिये तथा सत्य के पथ पर चलते हुये अपना जीवन व्यतीत करना चाहिये। यदि कोई असत्य के साथ गया तो उसकी बर्बादी निश्चित है। रामचरितमानस ने मेरे जीवन पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाले हैं। मैं इस पुस्तक को पढ़कर अपने जीवन के प्रति गंभीर हो गया हूँ। मैंने गुरुजनों का आदर करना, माता-पिता की आज्ञा मानना, छोटों से स्नेह, कर्म तथा संघर्ष का मंत्र, सत्य के मार्ग पर चलना तथा बुराई से दूर रहना आरम्भ कर दिया है। मेरे जीवन को सही दिशा में मोड़ने का सारा श्रेय रामचरितमानस पुस्तक को जाता है। मैं जान गया हूँ कि एक अच्छी पुस्तक एक सच्चे मित्र की तरह मूल्यवान होती है।


400 Words