यातायात के नियम
Yatayat Ke Niyam
जीवन में जितने भी कार्य मानव के द्वारा किये जाते हैं उन सबको सही ढंग से सम्पन्न करने के कुछ विशेष नियम होते हैं। यदि हम उन नियमों का पालन करते हैं तो हमारी सफलता की संभावना अधिकतम और असफलता की संभावना न्यूनतम होती है।
यहाँ हम यातायात के नियमों के विषय में बताना चाहते हैं। जब हम किसी सड़क पर चल रहे हों तो हमें अपनी बाँई तरफ वाले सड़क के किनारे पर चलना चाहिये जिससे पीछे से आने वाले वाहन को आगे निकलने के लिये पर्याप्त रास्ता मिल जाये। यदि हम भी किसी अन्य वाहन को जो आगे चल रहा हो पीछे छोड़ना चाहते हैं तो हमें उस वाहन की दाँई तरफ से आगे बढ़ना चाहिये।
जब हम किसी चौराहे पर खड़े हों तो हम चौराहे के पास एक खम्भे पर कई बत्तियों को जलते देखते हैं। जिनसे हम संकेत पाते हैं। जब हमारे सामने लाल बत्ती जलती दिखाई दे तो हमें रुक जाना चाहिये। ऐसा करने के लिये हमें चौराहे पर खड़ा सिपाही भी संकेत देता है। इसके बाद जब हरी बत्ती जले तो सिपाही हमें आगे बढ़ने का संकेत देता है और हमें बढ़ जाना चाहिये। नीली बत्ती का संकेत होता है कि रास्ता साफ है चलते रहिये और पीली बत्ती का संकेत होता है कि आप सतर्क हो जायें खड़े हों तो जाने के लिये औ चल रहे हों तो रुकने के लिये।आगे बढ़ने के बाद हमें जिस तरफ जाना हो उसी तरफ बाँई किनारे पर चलना चाहिये।
हमें कभी भी दौड़कर सड़क पार नहीं करनी चाहिये। सड़क पार करने से पहले दाईं और बाईं तरफ देखकर अपना सड़क पार करना सुनिश्चित कर लेन चाहिये। सड़क पर चलते समय पीछे से आने वाले वाहनों के होर्न की आवाज सुननी चाहिये और स्वयं सावधान हो जाना चाहिये। कभी-कभी हम सड़क के किनारे सूचनापटों पर लिखा देखते हैं "दुर्घटना से देर भली, धीरे चलने में ही सफर का आनन्द है, आपकी यात्रा मंगलमय हो"। उपरोक्त बातें हमारी अच्छाई के लिए लिखी जाती हैं। अत: हमें सभी यातायात नियमों का पालन करना चाहिये और अपने वाहन औसत गति से चलाना चाहिये।
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