आदमी अंधा क्यों हो जाता है
Aadmi andha kyo ho jata hai



आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि संसार में लगभग डेढ़ करोड़ लोग ऐसे जो अंधे हैं। अंधापन कई प्रकार का होता है। कुछ लोग नितांत अंधे होते हैं। तो कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें थोड़ा-थोड़ा दिखाई देता है। कुछ लोग जन्म से अंधे पैदा होते हैं तो कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जिनकी दृष्टि धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है। संसार के समस्त अंधे लोगों में जन्म से अंधे लोगों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। जन्म के बाद अंधे होने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है।

अंधेपन को हम दो भागों में बांट सकते हैं। पहला अंधापन जो जन्म से होता है और दूसरा जो जीवन में किन्हीं दूसरे कारणों से होता है। जन्मजात अंधेपन के सभी कारणों का पता नहीं है लेकिन गर्भवती मां के कुछ रोगों के द्वारा बच्चा पेट में ही अंधा हो सकता है। जैसे सुजाक एक भयानक यौन रोग है। यदि यह रोग गर्भवती स्त्री को हो जाए तो पैदा होने वाले बच्चे की आंखों का उचित विकास नहीं हो पाता। रेटिना, प्रकाश नाड़ियों और मस्तिष्क के प्रकाश संवेदनशील केंद्रों के रोगों के कारण भी जन्म से ही अंधापन हो सकता है।

जन्म के बाद आंखों की दृष्टि कम होने के तीन मुख्य कारण हैं। ये हैं-आंखों में रोहे हो जाना, आंखों का मोतिया और आंखों की नसों का दबाव बढ़ जाना। रोहे

आंखों की एक भयानक बीमारी है। यह एक वायुरस द्वारा होती है। इस रोग में पलकों में दाने हो जाते हैं। इसका आंखों की रोशनी पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इस रोग के लिए एंटीबायोटिक औषधियां आज उपलब्ध हैं। मोतिया रोग में आंखों के अंदर उपस्थित पारदर्शक लैंस पर धुंधलापन आ जाता है जिससे रेटिना तक पहुंचने वाले प्रकाश की मात्रा कम हो जाती है और आंखों की नाड़ियों का दबाव बढ़ जाता है। इस रोग में दृष्टि कमजोर होती चली जाती है। यदि उचित समय पर इस रोग पर ध्यान दिया जाए तो इसका इलाज हो जाता है।

कुछ दूसरे रोगों से भी दृष्टि कमजोर हो जाती है। जैसे क्षय रोग, मधुमेह, डिप्यारिया, मस्तिष्क की नाड़ियों की सूजन आदि से आंखें कमजोर हो जाती हैं। कुछ दुर्घटनाओं से भी रोशनी चली जाती है। आंखों की दृष्टि कायम रखने के लिए यह आवश्यक है कि उनकी उचित सफाई रखी जाए। समय-समय पर आंखों के विशेषज्ञों की राय लेते रहना भी आवश्यक है।