बच्चों को पोलियो का रोग कैसे हो जाता है
Baccho ko Polio ka rog kaise ho jata hai
लिया या बाल-पक्षाघात साधारणतः बच्चों को होने वाला
एक भयंकर रोग है। लेकिन यह रोग बड़ों को भी हो सकता है। इस रोक के आक्रमण से बहुत
से बच्चे मर जाते हैं, लेकिन जो बच जाते हैं उन में से अधिकतर अपंग हो जाते हैं। सन 1950 में अकेले
अमेरिका में ही करीब 33500 लोगों पर इस रोग का आक्रमण हुआ। सन् 1952 में डेनमार्क, जर्मनी, जापान, बेल्जियम, कोरिया, सिंगापुर और भारत में यह रोग भयंकर महामारी के रूप में फैला।
पोलिया रोग एक विषाणु द्वारा फैलता है। वायु से इस
रोग के विषाणु मुंह में प्रवेश करते हैं और गले से होते हुए आंतों तक पहुंच जाते हैं।
आंतों से ये विषाण रक्त में पहुंचकर सीधे केंदिय नाड़ी संस्थान पर आक्रमण करते
हैं। ये रीढ़ की हड्डी की कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। मस्तिष्क में गति
नियंत्रण करने वाले न्यूरांस इनके द्वारा प्रभावित हो जाते हैं। शरीर की जिस
मांसपेशी की कोशिकाएं इनके द्वारा नष्ट कर दी जाती हैं, वह मांसपेशियां फिर काम नहीं कर सकती। इस प्रकार इन विषाणुओं द्वारा शरीर के
किसी भी अंग को पक्षाघात हो जाता है।
शुरू-शुरू में जब पोलियो के विषाणु शरीर में प्रवेश
करते हैं तो सिर में हल्का-हल्का दर्द रहने लगता है। गला खट्टा-खट्टा रहने लगता
है। हल्का बुखार हो जाता है और उल्टी की शिकायत होने लगती है। शरीर में बेचैनी
रहती है। हर समय नींद की सी अवस्था रहती है। दो-तीन दिन में बुखार तेज हो जाता है।
मरीज का स्वभाव बहुत चिड़चिड़ा हो जाता है। कमर में और शरीर के दूसरे अंगों में
तेज दर्द होने लगता है। गर्दन सख्त हो जाती है और आखिर में शरीर के किसी भी अंग को
पक्षाघात हो जाता है। यदि पैरों में पोलियो का प्रभाव हुआ है तो वह मरीज चल-फिर
नहीं सकता है, यदि रीढ़ की हड्डी के ऊपर का भाग प्रभावित हुआ है तो मरीज को सांस लेने में
परेशानी होती है। सांस घुटने से मरीज की मृत्यु हो जाती है।
सन् 1955 में अमेरिका के डा. जोनास साल्क ने पोलियो
से बचने के लिए एक टीके का आविष्कार किया था। यह टीका बंदर के गुर्दे से पोलियो के
वायुरस को लेकर और उसे मारकर बनाया गया था। थोड़े-थोड़े समय के बाद तीन या चार
इंजेक्शन लगवाने के बाद पोलियो होने का डर नहीं रहता। इसके बाद अमेरिका के डा.
अलबर्ट साबिन ने पोलियो निरोधक एक ऐसी दवा की खोज की, जिसे केवल मुंह के द्वारा ही लिया जा सकता है। एक-एक महीने के अंतर पर इस दवा
को तीन बार लेने के बाद पोलियो होने का खतरा बिल्कुल समाप्त हो जाता है। यह दवा
पोलियो के जीवित वायुरसों को कमजोर करके बनाई जाती है। अमेरिका के डा. हेराल्ड
कोक्स ने पोलियो की रोकथाम के लिए पी जाने वाली एक और भी सस्ती दवा कुछ वर्ष पहले
बनायी है। यह दवा जीवित वायुरसों से विकसित की गई है। इसे एक बार पीने से पोलियो
का डर नहीं रहता।
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