हम नमक क्यों खाते हैं 
Hum Namak kyo khate hai 



हमारे शरीर में लगभग 65% पानी है। कुछ अंगों में तो इससे भी कहीं अधिक पानी है। उदाहरण के लिए मांसपेशियों में 75%, लिवर में 70%, मस्तिष्क में 79% और गुर्दो में 83% पानी है। शरीर में उपस्थित यह पानी शुद्ध अवस्था में नहीं होता बल्कि इसमें नमक घुला हुआ होता है। इस घोल में नमक की मात्रा को संतुलित रखने के लिए हम नमक खाते हैं।

विज्ञान के एक सिद्धांत के अनुसार मनुष्य और जमीन पर रहने वाले सभी जानवरों की उत्पत्ति ऐसे जीवों से हुई है जो कभी समुद्र में रहते थे। इन जीवों के शरीर में समुद्र का खारा पानी था। चूंकि इनकी उत्पत्ति समुद्र में हुई थी इसलिए ये बिना नमकीन पानी के जिंदा नहीं रह सकते थे। जब ये जंतु सूखी धरती पर आये तब भी इनके शरीरों में नमकीन पानी था। धरती से इन्हें नमक नहीं मिल पाता था लेकिन शरीर की क्रियाओं के लिए नमक की आवश्यकता होती थी। अतः नमक की पूर्ति करने के लिए इन सभी जानवरों ने नमक खाना शुरू किया।

जो जानवर दूसरे जानवरों को खाकर जिंदा रहते हैं उन्हें अतिरिक्त नमक की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि इनकी नमक की पूर्ति मांस में उपस्थित नमक से हो जाती है। यह बात मनुष्यों के विषय में भी सत्य हैं। मांस खाने वाले लोगों को अलग से नमक खाने की कम आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए एस्कीमों जाति के लोग अधिकतर मांस खाते हैं, इसलिए उन्हें नमक की बहुत ही कम जरूरत होती है।

जो लोग जमीन पर रहते हैं उन्हें नमक की अधिक जरूरत होती है। प्राचीन मेक्सिको में तो नमक इतना कीमती समझा जाता था कि वे नमक की देवता के रूप में पूजा करते थे। यूरोप में लोगों को काम करने के बदले में नमक दिया जाता था। सैलरी शब्द की उत्पत्ति भी लैटिन भाषा के नमक शब्द से हुई है।

हमारे शरीर में अधिकतर नमक त्वचा में रहता है। हमारे रक्त की विसर्जन क्रियाओं द्वारा नमक कम होता रहता है। यदि हम बिना नमक का भोजन करें तो रक्त का नमक कम हो जाएगा। ऐसी स्थिति में नमक की पूर्ति त्वचा में जमा नमक के भंडार से होती है। नमक का विसर्जन मुख्य रूप से गुर्दो द्वारा और पसीने द्वारा होता है। शरीर को सुचारु रूप से चलाने के लिए नमक बहुत जरूरी है।