फूलों में सुंगध क्यों होती है 
Phoolo se sugandh kyo aati hai



बसंतऋतु में जब हम किसी फूलों के बगीचे से गुजरते हैं तो फूलों की सुगंध से हमारा मन प्रसन्न हो जाता है। कुछ लोग सोचते हैं कि प्रकृति ने सुंदरता, मनमोहक रंग, पुष्परस, और सुगंध मनुष्य को आनंद देने के लिए फूल बनाए हैं लेकिन वास्तविकता कुछ और है। फूलों में ये सब चीजें उड़ने वाले कीट पतंगों को आकर्षित करने के लिए बनती हैं। फूलों की सुगंध, रंग और रस के कारण कीट-पतंगे इनकी ओर आकर्षित होकर इन पर आकर बैठते हैं तो अपने साथ ही फूलों के परागकणों को दूसरे फूलों तक ले जाते हैं। इन्हीं परागकणों से फूलों में गर्भाधान की क्रिया होती है जिसके फलस्वरूप बीजों का जन्म होता है। इन्हीं बीजों से पेड़-पौधों का वंश चलता रहता है।

भांति-भांति के फूलों में अलग-अलग प्रकार के तेल होते हैं और इन्हीं तेलों के कारण फूलों में गंध होती है। यह तेल धीरे-धीरे वाष्पित होते रहते हैं जिससे गंध का अनुभव होता है। फूलों के इन्हीं तेलों को निकाल कर इत्र बनाए जाते हैं। इत्र बनाने के कई तरीके हैं। एक तरीके में फूलों को एक बर्तन में रखकर भाप द्वारा गर्म किया जाता हैं। इस भाप के साथ तेल बाहर आ जाता है। इस भाप को पानी में से गुजरा जाता है इस क्रिया में भाप के साथ आया फूलों का तेल पानी की सतह पर तैरने लगता है। इसे पानी से अलग कर लिया जाता है। यहीं फूलों का इत्र होता है। इत्र बनाने के और भी कई तरीके हैं। फ्रांस में सबसे अधिक इत्र बनाया जाता है। यह देखा गया है कि 250 पौंड गुलाब के फूलों से करीब एक औंस इत्र निकलता है।

इत्र बनाने में गुलाब, रात की रानी, कवड़ा, लैवेंडर, चमेली आदि के फूलों का इस्तेमाल बहुत अधिक होता है।

एंथोसाइनिन नामक पिगमंट के कारण फूलों में लाल, नीला और बैंगनी रंग पैदा हो जाता है। प्लास्टिडक नामक पिगमंट के कारण फूलों में दूसरे रंग दिखते हैं। पिगमेंट फूलों के रस में मिले रहते हैं। क्लोरोफिल और केरोटिन की उपस्थिति से फूलों में हरा रंग होता है।