ताश का खेल कब शुरू हुआ
Tash ka khel kab shuru hua
अगर मनोरंजन की दृष्टि से देखा जाय तो ताश का खेल कोई
बुरा नहीं है। हां ताश का खेल तब बुरा होता है जब उसे जुए के रूप में खेला जाए। आज
संसार के सभी देशों में समय बिताने के लिए ताश खेले जाते हैं। इन खेलों में किसी
मैदान की भी जरूरत नहीं है। यह तो घरों में ही बैठकर खेले जा सकते हैं। कुछ लोग
खेल की शुरुआत जहां भारत और चीन में बताते हैं वहीं कुछ लोग इसे मिस्र की उपज
बताते हैं। लिखित प्रमाणों के अनुसार तेरहवीं सदी में ताश के खेल यूरोप में खेले
जाते थे। इनकी संख्या 22 थी। बाद में इन कार्डों में इक्का, दुक्की जैसे कार्ड लगाए जिनकी संख्या 56 थी। इस प्रकार इनकी संख्या 78 हो गई।
बाद में फ्रांस में इन कार्डों की संख्या 52 कर दी। इन्हीं 52 कार्डों का इस्तेमाल
इंग्लैंड में भी हुआ।
धीरे-धीरे ताश का खेल पूरे विश्व में प्रचलित हो गया।
इसलिए हम कह सकते हैं कि 52 ताश के पत्तों का खेल सर्वप्रथम फ्रांस में शुरू हुआ।
शुरू-शुरू में तो इन पत्तों पर हाथ से ही पेंट किया जाता जिसके कारण ये पत्ते बहुत
महंगे पड़ते थे जिससे महंगाई के कारण इन्हें हर व्यक्ति खरीद नहीं पाता था। छपाई
की कला के आविष्कार ने इन्हें सुंदर रूप दे दिया। आज के सभी पत्तों की लंबाई 8 1/2
सेमी. चौड़ाई 5 1/2 सेमी. होती है।
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