थर्मस में चीजें ज्यों की त्यों क्यों रहती है।
Thermos mein chije jyo ki tyo kyo rehti hai
भौतिकतावादी युग में आवश्यकता को देखते हुए थर्मस घर-घर की जरूरत बन गया है। यह विशेष प्रकार की बोतल होती है। इसका आविष्कार सन् 1892 में 'जैम्स डेकर' ने किया था। इस बोतल के अंदर एक कांच की दीवार बनी होती है। एक निर्वात पंप की सहायता से दीवारों के बीच की हवा निकालकर इसे बंद कर दिया जाता है। थर्मस का कार्य ऊष्मा को बाहर से अंदर और अंदर से बाहर निकलने से रोकना है। असल में ऊष्मा एक स्थान से दूसरे स्थान तक तीन तरीकों से जा सकती है इन तीन तरीकों को चालन, संवहन और विकिरण कहते हैं। थर्मस में ये तीनों विधियां ही हैं जिसके कारण उसमें ऊष्मा का आना जाना नहीं होता। असल में थर्मस की बोतल कांच की बनी होती है और कांच ऊष्मा का कुचालक है। कांच की दीवारों के बीच में हवा न होने के कारण ऊष्मा का आवागमन नहीं हो पाता और फिर कांच की दीवारों पर चांदी की वह परत अंदर की ऊष्मा को अंदर ही परावर्तित कर देती है और बाहर की ऊष्मा को बाहर की ओर। इन्हीं सब कारणों से थर्मस में रखी गर्म चीज गर्म और ठंडी चीज ठंडी रह पाती हैं।
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