चाय पीने की शुरूआत कब हुई 

Chai pine ki shuruaat kab hui 



आज हमारे विश्व में चाय की धूम मची है। बाजार में बिकने वाली बंद डिब्बों की चाय पत्तियों से तैयार होती है। चाय की खेती मुख्य रूप से भारत, वर्मा, चीन, श्रीलंका और दक्षिणी पूर्वी एशिया में ही होती है। इंग्लैंड में चाय सर्वाधिक पी जाती है। चाय पीने की शुरूआत आज से लगभग 300 वर्ष पहले ही हुई थी। अट्ठारवीं सदी में यूरोप और उत्तरी अमेरिका में चाय के बगीचे लगाने का कार्य आरंभ हुआ। इन देशों में चाय की मांग के कारण चीन में चाय का व्यापार बहुत बढ़ गया। इंग्लैंड के लोगों ने देखा कि आसाम के जंगलों में चाय के पौधे अपने आप ही उग जाते हैं तो उन्होंने भी चाय की खेती शुरू की। श्रीलंका में इतनी चाय की पैदावार हो गई कि लंका चीन से भी आगे निकल गया।

अक्सर चाय का पौधा जब तीन साल का हो जाता है तो इसकी पत्तियों पहली बार चुनने लायक होती है। पत्तियों से केवल कलियां और छोटी-छोटी पत्तियां ही चुनी जाती है। पत्तियां चुनने का कार्य औरतें ही करती हैं। उनकी पीठ पर टोकरियां टंगी होती हैं। काली चाय तैयार करने के लिए पत्तियों को खुले में दो दिन कुम्हलाने के लिए छोड़ दिया जाता है। कुम्हलाई हुई पत्तियों का रोलरों से दबाकर खमीर उठाने

के लिए छोड़ दिया जाता है। खमीर उठने पर इन पत्तियों को गर्म किया जाता है जिससे खमीर उठना बंद हो जाता है। फिर एक बार और उनहें रोलरों से दबाया जाता है. इसके बाद इन पत्तियों को सखा लिया जाता है। अब इन पत्तियों की छंटाई की जाती है। बिना टी पत्ती एक तरफ और चूरा एक तरफ कर लिया जाता है, इन तीनों को अलग-अलग डिब्बों में बंद कर बाजार में उतारा जाता है।