हमारे शरीर में भोजन कैसे पचता है
Hamare Shareer me bhojan kaise pachta hai 



हमारा शरीर असंख्य कोशिकाओं से मिलकर बना है। इन कोशिकाओं से शरीर के ऊतक बने हैं। जो भोजन हम खाते हैं वह हमारे शरीर में दो मुख्य काम करता है। पहला इससे शरीर की वृद्धि के लिए प्रोटीन प्राप्त होते हैं और दूसरा दिन भर के काम काजों के लिए ऊतकों को ऊर्जा प्राप्त होती है। वृद्धि के काम आने वाले प्रोटीन हमें मांस, अंडा, मछली और दूसरे अन्य पदार्थों से प्राप्त होते हैं।

भोजन पचने की क्रिया बहुत ही जटिल और लंबी है। यह क्रिया हमारे शरीर में हर समय चलती रहती है। भोजन पचने की क्रिया हमारे मुंह से ही शुरू हो जाती है। जब हम इसे चबाते हैं तो मुंह की लार इसे गीला कर देती है। लार में टाइलिन नामक पदार्थ होता है जो भोजन में उपस्थित मंड को चीनी में बदल देता है। आपने यह महसूस किया होगा कि भोजन को अधिक चबाने पर उसका स्वाद मीठा हो जाता है। यह मंड के चीनी में बदलने के कारण ही होता है। भोजन पचने का यह प्रथम चरण है। इसलिए यह आवश्यक है कि हमें भोजन को अच्छी तरह चबा-चबाकर खाना चाहिए।

इसके बाद खाने के लिए पदार्थ भोजन नली द्वारा पेट या आमाशय में पहुंच जाते हैं। जब भोजन आमाशय में पहुंचता है तो इसमें आमाशय रस मिल जाता है। यह रस आमाशय की दीवारों से निकलता है, इस रस में पेप्सिन नामक पदार्थ (एंजाइम) और नमक के अम्ल होते हैं। पेप्सिन इस अम्ल के साथ प्रोटीन के अणओं को पेप्टोंस में बदल देता है।

आमाशय से भोजन छोटी आंत में पहुंच जाता है। यहां इस इसमें तीन पाचक रस और मिल जाते हैं। ये रस हैं-पित्त, अग्नाशय रस और यांत्ररस। पित्त यकृत से पैदा होता है। इसका मुख्य कार्य वसा को पचाना है। अग्नाशय रस क्षारीय होता है जो अम्लों को उदासीन करता है। यह प्रोटींस को भी पचाता है। आंत्ररस चीनी को ग्लूकोज में बदल देता है। यहां भोजन में बहुत से एंजाइम भी मिल जाते हैं।

भोजन मुख्य रूप से यहीं पर पचता है। पचा हुआ भोजन छोटी आंत की दीवार में स्थित रक्तवाहिनियों द्वारा सोख लिया जाता है। भोजन का बचा हुआ कूड़ा-कर्कट बड़ी आंत में चला जाता है और वहां से विष्टा के रूप में गुदा द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रकार भोजन के पोशक तत्व शरीर को मिलते रहते हैं।