हमें खर्राटे क्यों आते हैं
Hame Kharate kyo aate hai
खर्राटा लेने वाला व्यक्ति इस बात को नहीं बता सकता कि सोते समय वह किस प्रकार की आवाज करता है और न ही वह यह बता सकता कि कब वह खर्राटे लेते-लेते रुक जाता है? इस बात को तो सिर्फ वही व्यक्ति जानता है जो उसके पास सोता हो। जब वह खर्राटा लेता है तब तक उसका मुंह खुला होता है और उसके बराबर में सोने वाला व्यक्ति अनिंद्रा और सिरदर्द का शिकार बन जाता है।
खराटे की स्थिति कंठ की मांसपेशियों के स्वस्थ ना होने के कारण होती है। जिस प्रकार हवा में पाल उड़ती है उसी प्रकार वायु के प्रवाहित होने पर उसके मुंह की मांसपेशियां गूंजती है। मांसपेशियां मुंह के मार्गों में पर्दे के समान लटकी रहती है, जब जीभ और तालु एक दिशा में आ जाते हैं तब गूंजना आरंभ हो जाता है। अक्सर पीठ के बल सोने से खर्राटा लेने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
जितने लोग खर्राटा लेते हैं उन्हें चाहिए कि वे चिकित्सक से अपने कान, नाक, कंठ और स्वर की नली की जांच करा लें ताकि उन्हें खरटि की वास्तविक स्थिति का पता चल सके।
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